दिलीप कुमार पठान थे फिर क्यों लड़ी अंसारी-मंसूरियों की लड़ाई

0
75

द लीडर हिंदी : दिलीप साहब बने थे उस तहरीक के पोस्टर बॉय. वो तहरीक जिसने हिंदुस्तान में पिछड़े मुसलमानों की तक़दीर और तस्वीर बदल दी. जिसके लिए शब्बीर अहमद अंसारी ने अपनी पूरी ज़िदगी लगा दी और युसूफ़ ख़ान उर्फ़ दिलीप कुमार ज़ात-पात की दीवार लांघकर उसके पोस्टर बॉय बन गए. आज़ाद हिंदुस्तान में इस तहरीक ने हिंदू-मुस्लिम की दरार को पाटकर गंगा-जमनी तहज़ीब की जड़ें भी सींचने का काम किया. उस 45 साला तहरीक की गूंज मुंबई के ख़िलाफ़त हाउस में सुनाई दी. जहां ऐसी दरपर्दा बातें सामने आईं, जिनसे कम नहीं बहुत ज़्यादा तादाद में लोग नावाकिफ़ थे. बता दें दिलीप कुमार ख़ुद मुसलमानों में अशराफ़ (यानी आला ज़ात) कहलाने वाले समाज का हिस्सा थे लेकिन पसमांदा मुसलमानों के लिए संविधान में तय किए गए हक़ को दिलाने की लड़ाई में कभी न भुलाया जाने वाला हक़ीक़ी किरदार निभा गए.