नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली इस वक्त कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रही है. बीते कुछ दिनों में नए मामलों में कमी ज़रूर आई है, लेकिन मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. इस संकट के बीच दिल्ली में ऑक्सीजन की किल्लत भी जारी है.
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ऑक्सीजन संकट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को ऑक्सीजन संकट को लेकर सुनवाई शुरू हुई. केंद्र सरकार अदालत को सूचित किया कि, दिल्ली को बीते दिन 700 एमटी ऑक्सीजन दी गई है, उससे पहले भी दिल्ली को 585 एमटी ऑक्सीजन दी गई थी. बीती रात दिल्ली के 56 अस्पतालों के साथ एक एक्सरसाइज़ की गई. देरी सिर्फ टैंकर्स की वजह से हो रही थी.
कई राज्यों में बढ़ी ऑक्सीजन की डिमांड
सर्वे के मुताबिक फिलहाल, दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन का जरूरी स्टॉक मौजूद है. ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन से आज 280 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आ रही है. केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि, दिल्ली के अलावा कई अन्य राज्य भी हैं, जहां पर ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ रही है. राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर में डिमांड बढ़ती जा रही है.
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अस्पतालों के पास ऑक्सीजन स्टोर करने की क्षमता है?
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि, क्या अस्पतालों के पास ऑक्सीजन स्टोर करने की क्षमता है. कोर्ट पहले ही आदेश दे चुकी है कि, केंद्र को 3 मई तक बफर स्टॉक तैयार रखना चाहिए. अदालत ने कहा कि अगर स्टॉक रहेगा तो पैनिक के हालात नहीं बन पाएंगे.
‘ऑक्सीजन आवंटन का फॉर्मूला बदलने की जरूरत‘
अदालत में स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव सुमिता दावरा ने बताया कि कुल टैंकर के 53 फीसदी को दिल्ली सप्लाई के लिए ही लगाया गया है, 6 कंटेनर्स भी लगाए गए हैं. अगले कुछ दिनों में इनकी संख्या 24 हो जाएगी, इनमें भरे हुए और वापस प्लांट तक जाने वाले केंटेनर्स भी शामिल रहेंगे.
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केंद्र ने अदालत में कहा कि, दिल्ली के सभी अस्पताल कोविड स्पेशल नहीं हैं, ऐसे में जो छोटे अस्पताल हैं उनके पास ऑक्सीजन स्टोर करने की क्षमता नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बतरा अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई तीन घंटे देरी से हुई, जिसके कारण एक वरिष्ठ डॉक्टर की जान चली गई. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि ऑक्सीजन आवंटन के फॉर्मूले को पूरी तरह से बदलने की जरूरत है.
राजधानी में 20 हजार के करीब कोरोना के केस
दिल्ली में कोरोना के मामलों की बात करें, तो बीते दिन राजधानी में 20 हजार के करीब कोरोना के केस आए, जबकि 300 से अधिक मौतें हुईं. दिल्ली में इस वक्त 91 हजार से ज्यादा कोरोना के एक्टिव केस हैं, जबकि मरने वालों की संख्या 18 हजार के पार चली गई हैं.