द लीडर हिन्दी: उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव की बिसात सज चुकी है। मंगलवार को नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण लेकर सुनाई होनी है। कोर्ट ने 12 दिसंबर को अंतरिम अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी थी। इस मामले में प्रदेश सरकार ने कहा है कि 2017 में हुए ओबीसी सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में पक्षकारों को सोमवार को उपलब्ध कराए गए जवाबी हलफनामे में सरकार ने कहा है कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए।
जनहित याचिका पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई होगी। चुनाव पर फैसला आने से पहले प्रत्याशियों और अलग-अलग पार्टियों की बेचैनी बढ़ गई है। शहरी विकास विभाग के सचिव रंजन कुमार ने हलफनामे में कहा है कि ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। निकाय चुनाव से जुड़ी याचिकाओं पर हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में मंगलवार को चुनाई होनी है। चुनाव पर फैसला आने से पहले प्रत्याशियों और अलग-अलग पार्टियों की बेचैनी बढ़ गई है।
नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर जनहित याचिका दाखिल होने के बाद जस्टिस सौरभ श्रीवास्त और जस्टिस देवेंद्र उपाध्याय की बेंच ने 12 दिसंबर अधिसूचना जारी करने पर अंतरिम रोक लगा दी थी। यह रोक आज यानी 20 दिसंबर तक प्रभावी है। कोर्ट में दाखिल याचिकाओं मे कहा गया है कि सुप्रीमकोर्ट ने निकाय चुनाव में पहले से ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट फार्मूला अपनाने की बात कही है, लेकिन सरकार ने इसकी अनदेखी करते हुए रैपिड टेस्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण तय कर दिया। जो कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के विरुद्ध है। कोर्ट अगर सरकार के जवाब से संतुष्ट हो गई तो फैसला आएगा। अगर कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई तो चुनाव टल सकते हैं। कोर्ट के फैसले पर सभी की नजर टिकी हुई है।