नए संसद भवन की छत पर बने विशालकाय अशोक स्तंभ को लेकर विवाद : जानिए किसने क्या कहा ?

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द लीडर। देश में सोमवार यानि 11 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की छत पर एक विशालकाय अशोक स्तंभ का अनावरण किया। ये अशोक स्तंभ 20 फीट ऊंचा है और इसका वजन 9500 किलो बताया गया है। इसे संभालने के लिए साढे छह हजार किलो की संरचना बनाई गई है जो पूरी की पूरी स्टील से तैयार की गई है। लेकिन अब देश में इसको लेकर सियासत होना शुरू हो गया है।

नए संसद भवन की छत पर एक विशालकाय अशोक स्तंभ के अनावरण के बाद देश में नई बहस ने जन्म ले लिया है। लेकिन सवाल यहीं है कि, जिन उपलब्धियों को लेकर हमें गर्व होना चाहिए उनमें भी किसी न किसी तरह की कमी निकाल कर राजनितिक दल बहस करते नजर आते है। देश में मंहगाई, बेरोजगारी जैसे तमाम मुद्दों पर वो चर्चा नहीं करते है।

संजय सिंह ने कही ये बात ?

अशोक स्तंभ का शुभारंभ प्रधानमंत्री के हाथों हुआ है तो सियासत होनी जरूरी है। एकाएक कई नेता अशोक स्तंभ को लेकर सवाल कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि, मैं 130 करोड़ भारतवासियों से पूछना चाहता हूँ राष्ट्रीय चिन्ह बदलने वालों को “राष्ट्र विरोधी”बोलना चाहिये की नही बोलना चाहिये।


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बता दें कि, जिस व्यक्ति का ट्वीट संजय सिंह ने रीट्वीट किया उसने दो तस्वीरों की तुलना करते हुए कहा लिखा कि, आप स्वतः ही निष्कर्ष निकालें….नीचे हमारे राष्ट्रीय चिन्ह की 2 तस्वीरें हैं। एक में सिंह जिम्मेदार शासक की तरह गंभीर मुद्रा में दिख रहा है। और दूसरे में सिर्फ आदमखोर शासक की भूमिका मे खौफ फैलाने जैसा…

वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी नए अशोक स्तंभ के अनावरण को संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन बताया। वहीं कांग्रेस इस बात से नाराज थी कि, दूसरी पार्टियों को कार्यक्रम में क्यों नहीं बुलाया गया।

यह हमारे राष्ट्रीय चिन्ह का अपमान है- सांसद जवाहर सरकार

वहीं TMC सांसद जवाहर सरकार ने भी इसपर सवाल उठाये हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे राष्ट्रीय चिन्ह का अपमान है। असली तस्वीर लेफ्ट में है। वहीं सीधे हाथ पर मोदी वर्जन है, जिसे नई संसद बिल्डिंग के ऊपर लगाया गया है। यह अनावश्यक रूप से आक्रामक है। इसे तुरंत बदलें।

नए अशोक स्तंभ को लेकर हो रहे विवाद पर TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने अशोक स्तंभ की एक पुरानी और नई तस्वीर शेयर की है।

 

जानिए राष्ट्र चिन्ह अशोक स्तंभ के बारे में ?

बता दें कि, हमारे देश की संस्कृति और स्वतंत्र अस्तित्व के सबसे बड़े प्रतीक राष्ट्र चिन्ह अशोक स्तम्भ की हमारी ऐतिहासिक परम्पराओं और महान राष्ट्र के रूप में पहचान होती है। 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में अशोक स्तम्भ को अपनाया गया। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह थी कि, इसे हमारे गौरवशाली इतिहास में शासन, संस्कृति और शांति का सबसे बड़ा प्रतीक माना गया है।

अशोक स्तंभ को राष्ट्र चिन्ह बनाने के साथ ही कुछ नियम कायदे भी बनाये गए, क्योंकि ये राष्ट्रीय चिन्ह है और इसकी संवैधानिक गरिमा है। जिसे किसी भी तरीके से ठेस नहीं पहुंचाई जा सकती। अशोक स्तंभ का इस्तेमाल सिर्फ़ संवैधानिक पदों पर बैठे हुए व्यक्ति ही कर सकते हैं। इसमें भारत के राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, उप राज्यपाल, न्यायपालिका और सरकारी संस्थाओं के उच्च अधिकारी शामिल हैं।


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