द लीडर : उत्तर प्रदेश के ज़िला लखीमपुर खीरी की एक मां-जाफ़री बेग़म को अमेरिका की प्रतिष्ठित कोलंबिया यूनिवर्सिटी का सलाम आया है. कोलंबिया ने उन्हें प्रेसिडेंशियलय गोल्डन हार्ट अवार्ड से नवाज़ने की ख़्वाहिश ज़ाहिर की है. अगले साल 2023 में न्यूयॉर्क में विश्वविद्यालय के 269वें सत्र शुभारंभ समरोह के दौरान जाफ़री बेग़म को ये सम्मान दिया जाएगा. इसका निमंत्रण आ गया है. लेकिन दुनिया के सर्वशेष्ठ शिक्षण संस्थानों में से एक कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने आख़िर जाफ़री बेग़म को इस सम्मान के लिए क्यों चुना है. वह तो लखीमपुर के एक छोटे से गांव गौरिया में रहती हैं. मुफ़लिसी में ज़िंदगी बीती. साधारण परिवार है. ख़ुद पांचवीं कक्षा तक पढ़ी हैं. तो अमेरिका उन्हें, क्यों सम्मानित करने जा रहा है. (Columbia University Honor Jafri Begum)
इन सारे सवालों का एक जवाब है-तालीम.. परवरिश. जाफ़री बेग़म ने अपने बेटे मुनीर ख़ान की परवरिश और तालीम के लिए जो संघर्ष किया है. क़ुर्बानी दी. वो हर कमज़ोर और ग़रीब परिवार को अपने बच्चों की पढ़ाई का हौसला देगा. जाफ़री बेग़म को सम्मानित करके कोलंबिया यूनिवर्सिटी दुनिया के आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों में शिक्षा के प्रति जाफ़री बेग़म और उनके बेटे मुनीर ख़ान जैसा ही जूनून पैदा करना चाहती है. दरअसल, जाफ़री बेग़म के बेटे मुनीर ख़ान कोलंबिया यूनिवर्सिटी के फू फाउंडेशन ऑफ इंजीनियरिंग से ग्रेजुएट हैं. और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स में रिसर्च असिस्टेंट. जहां पिछले दो सेमेस्टर से लगातार यूनिवर्सिटी टॉप कर रहे हैं.
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में छात्रों के अलावा पैरेंट्स के लिए भी एक अवार्ड है, जिसका नाम है-प्रेसिडेंशियल गोल्डन हार्ट अवार्ड. ये पुरस्कार उन माता-पिता के हिस्से में आता है, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया हो. (Columbia University Honor Jafri Begum)
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पांचवीं कक्षा तक पढ़ीं जाफ़री बेग़म यूनिवर्सिटी के इस अवार्ड के हर पैमाने पर न सिर्फ़ खरी उतरती हैं, बल्कि दुनिया की तमाम मांओं को प्रेरित करने वाला टारगेट अचीव कर चुकी हैं. इसलिए, क्योंकि जाफ़री बेग़म की गोद में एक साल का बेटा था, तभी उनके शौहर का इंतक़ाल हो गया था. महज एक बीघा ज़मीन. गांव में कामधंधे का कोई दूसरा ज़रिया नहीं था. पति की मौत का ग़म और परिवार की रोज़ी-रोटी का भार. जिसमें जाफ़री बेग़म के ख़्वाब भी थे कि, अपने बच्चे को दिल खोलकर पढ़ाएंगी.
तमाम ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए जाफ़री बेग़म बेटे को अच्छी तालीम देने के अपने ख़्वाब की तामीर में जुट गईं. एक तरह से ख़ुद को इस मिशन में खपा दिया कि मुनीर को पढ़ा लिखाकर अच्छा इंसान बनाना है. दिन रात संघर्ष किया. मेहनत की और एक-एक पाई जोड़कर मुनीर ख़ान को पढ़ाना शुरू किया. जाफ़री बेग़म ने समझ लिया था कि मुफ़लिसी की बेड़ियां सिर्फ़ तालीम से ही काट सकती हैं. और इसके लिए उन्हें हर हाल में अपने बेटे को पढ़ाना होगा और उसे भी दिल लगाकर पढ़ना होगा. (Columbia University Honor Jafri Begum)
तालीम को लेकर मां-बेटे की इस कैमिस्ट्री ने ऐसा करिश्मा किया कि मुनीर बचपन से ही कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ने लग गए. गौरिया गांव के प्राइमरी स्कूल से पढ़ाई के बाद मुनीर आगे बढ़े. तो विज्ञान को लेकर दीवानग़ी पैदा हो गई. साइंस में उनकी दिलचस्पी को लेकर पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने मुनीर ख़ान को यंग साइंटिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया था. तब डॉ. कलाम ने भी मुनीर की तालीम और परवरिश को लेकर जाफ़री बेग़म के हौसले की सराहना की थी.
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अभिभावक सम्मान के लिए जब अवार्ड कमेटी दुनियाभर से आए 3200 आवेदन पत्रों का अध्ययन कर रही थी. तो इसमें दबे एक आवेदन पत्र, जिसमें जाफ़री बेग़म के संघर्ष के किस्से बयान थे. कमेटी के दिल को छू गए. और उसने जाफ़री बेग़म को न्यूयॉर्क के समारोह में सम्मानित करने का बुलावा भेज दिया है. इस समारोह में यूनिवर्सिटी दुनियाभर के ऐसे छह अभिभावकों को सम्मानित करेगी, जिसमें यूपी के लखीमपुर की जाफ़री बेग़म भी शामिल होंगी. यूनिवर्सिटी उन्हें मुनीर की शानदार परवरिश और मेंटरिंग यानी बड़े लक्ष्यों के प्रति तैयार करने पर ये पुरस्कार देगी.
कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने जाफ़री बेग़म को भेजे पत्र में कहा कि हमें आप पर गर्व है कि आपकी बेहतरीन परवरिश से हमें नोबल ग्रेजुएट स्टूडेंट मिला है.
मुनीर ने एक मीडिया संस्थान से बातचीत में अपनी मां का वो सबक दोहराया कि, सफलता चाहें जितनी ऊंचाई दे, लेकिन ज़मीन हमेशा पकड़े रखना. यही वजह है कि मुनीर ख़ान अब अपने गांव के बच्चों को पढ़ाने और टेक्नोलॉजी के प्रति प्रेरित करने में लगे हैं. गांव के स्कूल में एक लाइब्रेरी शुरू कर रह हैं. और बच्चों से ऑनलाइन संवाद करते रहते हैं. (Columbia University Honor Jafri Begum)