सीएम के फिर अटपटे बोल- क्यों नहीं पैदा किये 20 बच्चे! हम थे अमेरिका के गुलाम!

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CM Stunned 20 Children Born Slaves America

द लीडर, देहरादून : मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अलकमान की मेहरबानी से अपने नेताओं को साधने में लगे हैं लेकिन खुद की जुबान को नही साध पा रहे हैं। आज रामनगर में 20 बच्चे वालों का ज़िक्र करके जहाँ उन्होंने एक खास वर्ग को परोक्ष रूप से निशाने पर लिया वहीं यह भी कह गए कि भारत 200 साल अमेरिका का गुलाम था।

रामनगर में विश्व वानिकी दिवस कार्यक्रम में वह केंद्र सरकार की तारीफ करते समय कुछ अटपटा कह गए। किसी धर्म या जाति विशेष का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि लॉक डाउन के दौरान अधिक बच्चे पैदा करने वालों ने केंद्र की योजना का नाजायज फायदा उठाया।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत कहा कि लॉकडाउन के दौरान प्रति यूनिट पांच किलो राशन देने का काम किया। जिसके दस थे, पचास किलो आ गया, बीस थे तो क्विंटल आ गया। दो थे तो दस किलो आ गया। लोगों ने स्टोर बना लिए। खरीददार सामने ढूंढ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि लोगों में सरकार द्वारा बांटे गए चावल को लेकर जलन भी होने लगी कि दो सदस्यों वालों को 10 किलो, जबकि 20 सदस्य वालों को एक क्विंटल अनाज क्यों दिया गया ? उन्होंने कहा की ‘भैया इसमें दोष किसका है, उसने 20 पैदा किए, आपने दो पैदा किए, तो उसको एक क्विंटल मिल रहा है, इसमें जलन काहे का। जब समय था तब आपने दो ही पैदा किए, 20 क्यों नहीं किए।’


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अपने भाषण में उन्होंने तथ्यात्मक गलती करते हुए कहा कि भारत 200 साल तक अमेरिका का गुलाम रहा। बता दें कि तीरथ के कार्यभार संभालने के बाद से ही दो विवादित बयान दे चुके हैं। अब तीसरा बयान आने से विपक्षी दलों को फिर हमले का मौका मिल गया। हालांकि फटी जींस वाले बयान पर वह माफी मांग चुके हैं।

पहला बयान

14 मार्च को हरिद्वार में ‘मोदी ज़िन्दाबाद’ के नारों के बीच कहा था कि- भगवान राम ने समाज के लिए अच्छा काम किया था। इसीलिए लोग उन्हें भगवान मानने लगे थे। इसी तरह भविष्य में हमारे प्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी ऐसा ही होगा।

दूसरा बयान

16 मार्च को देहरादून में बाल अधिकार संरक्षण आयोग की एक कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए सीएम ने कहा कि आजकल युवा फटी जीन्स पहनकर चल रहे हैं, क्या ये सब सही है…ये कैसे संस्कार हैं। फटे कपड़े पहनना शान बन चुका है। अब फटी जीन्स पहनकर युवक-युवतियां फर्क महसूस करते हैं। फैशन की ओर युवाओं का झुकाव उन्हें अपनी संस्कृति से दूर कर रहा है।


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एक किस्सा भी सुनाया। जिसमें उन्होंने कहा कि एक बार वे एक जहाज में यात्रा कर रहे थे। तब उनके पास एक महिला दो बच्चों के साथ बैठी थी। उन्होंने देखा कि उसकी जीन्स फटी थी।

महिला ने उन्हें बताया कि वह दिल्ली जा रही है, उसके पति प्रोफेसर हैं और वह एक एनजीओ चलाती हैं। फिर मुझे हैरानी हुई कि पढ़े-लिखे लोग भी अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं।

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