यरुशलम में ईसाइयों को इजरायली चरमपंथियों से खतरा: चर्च

0
519

यरुशलम में सिर्फ फिलिस्तीनी मुसलमानों से ही इजरायली चरमपंथियों का बैर नहीं है, ईसाई भी उनकी हरकतों से परेशान हैं। शहर के ग्रीक ऑर्थोडॉक्स पैट्रिआर्क के अनुसार, कट्टरपंथी इजरायली समूह यरूशलम में अक्सर ईसाइयों को धमकी देते रहते हैं। (Christians In Jerusalem Threatened)

चरमपंथियों को इजरायल के खास चेहरे के तौर पर दिखाने वाली थियोफिलोस की आलोचना क्रिसमस से पहले यरुशलम में अन्य चर्चों के प्रमुखों की ओर से जारी साझे बयान मुकाबले ज्यादा सख्त रही। साझे बयान में “कट्टरपंथी समूहों द्वारा लगातार और निरंतर हमलों” की बात तो की गई, लेकिन हमलावरों की पहचान इजरायली चरमपंथी के रूप में नहीं की गई।

शनिवार को टाइम्स ऑफ लंदन में एक कॉलम में हिज बीटिट्यूड, थियोफिलोस III ने कहा कि उनका मानना ​​​​है कि इजरायली चरमपंथियों का मकसद ईसाई समुदाय को यरुशलम के पुराने शहर से बाहर निकालना रहा है, जिसमें यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम के पवित्र स्थल हैं।

1967 के युद्ध में इज़राइल ने वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी के साथ पुराने शहर समेत पूर्वी यरुशलम पर कब्जा कर लिया। युद्ध के बाद पूर्वी यरुशलम को इजरायल ने इसे अपने मुल्क का हिस्सा बना लिया, जिसे आज तक अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है। (Christians In Jerusalem Threatened)

क्रिसमस पर ग्रीक ऑर्थोडॉक्स उत्सव के एक दिन बाद प्रकाशित लेख में पैट्रिआर्क ने लिखा, “यरुशलम में हमारी मौजूदगी खतरे में है।”

उन्होंने कहा, “हमारे चर्चों को इजरायल के कट्टरपंथी फ्रिंज समूहों से खतरा है। इन जियनवादी चरमपंथियों के हाथों यरुशलम में ईसाई समुदाय बहुत पीड़ित है।”

“हमारे भाई-बहन घृणा अपराधों के शिकार हैं। हमारे चर्चों को नियमित रूप से अपवित्र किया जाता है और तोड़फोड़ की जाती है। हमारे पादरियों को बार-बार धमकाया जाता है।”

दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता पर पिछले साल प्रकाशित अमेरिकी विदेश विभाग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ईसाई पादरियों और तीर्थयात्रियों पर यरुशलम में अति-रूढ़िवादी यहूदियों ने परेशान करने या उन पर थूकने की घटनाओं को अंजाम दिया। (Christians In Jerusalem Threatened)

चर्च समूहों ने कई बार शहर में धार्मिक स्थलों पर बर्बरता के हमलों की भी सूचना दी। हालांकि, थियोफिलोस ने किसी भी कट्टरपंथी समूहों का नाम लेकर आरोप नहीं लगाया, न ही विशिष्ट घटनाओं का हवाला दिया। उन्होंने ऐसा भी कोई सबूत नहीं दिया कि वे इजरायली थे, या उनका लक्ष्य ईसाइयों को शहर से खदेड़ना था या है।

इजरायली अधिकारियों ने चर्च के अगुवा लोगों के इन दावों का खंडन किया है।

इजरायली विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, “इज़राइल राज्य यरुशलम में सभी धर्मों के लिए इबादत की आजादी के साथ-साथ पवित्र स्थलों तक आवाजाही की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।”


यह भी पढ़ें: कैसे 2500 साल में बना यहूदी देश इस्राइल, जिसने फिलिस्तीन निगल लिया


(आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here