नई दिल्ली के विज्ञान भवन में शनिवार को बार काउंसिल आफ इंडिया ने ‘न्यायिक व्यवस्था में उभरती चुनौतियां’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय वकील सम्मेलन का आयोजन किया है। जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। जहाँ उन्होंने देश दुनिया से जुटे वकीलों को संबोधित भी किया। पीएम मोदी ने आगे कहा कि 21वीं सदी में आज हम दुनिया में ऐसे रह रहे हैं जो डिप्ली कनेक्ट है। हर लीगल इंस्टीट्यूशन अपने जूरिडिक्शन को लेकर बहुत सचेत है लेकिन ऐसी कई ताकत है जिनके खिलाफ हम लड़ रहे हैं। वे बॉर्डर या जूरीडिक्शन की परवाह नहीं करती और जब खतरे ग्लोबल है तो उनमें निपटने का तरीका भी ग्लोबल होना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार न्यायपालिका के कामकाज को आम लोगों की भाषा में सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है। अगर न्यायपालिका का कामकाज अपनी भाषा में होगा तो देश के लोगों को वह अपना लगेगा। वही पीएम मोदी ने आगे कहा कि इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस वसुदेव कुटुंबकम की भारत की भावना का प्रतीक बन गई है। किसी भी देश के निर्माण में वहां की लीगल पैटरनिटी की बहुत बड़ी भूमिका होती है। भारत में सालों से न्यायपालिका भारत की न्याय व्यवस्था की संरक्षक रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि एक अहम विषय अल्टरनेट डिस्प्यूट रेजोल्यूशन का कमर्शियल कनेक्शन की साथ दुनिया भर में अदर का चलन तेजी से बढ़ रहा है। मुझे बताया गया कि इस कांफ्रेंस विषय पर भी विस्तार से बात होने वाली है। भारत में दो सदियों से पंचायत के जरिए विवादों के निपटान की व्यवस्था रही है। यह हमारे संस्कार में रहा है। इस इनफॉर्मल व्यवस्था को एक व्यवस्थित रूप देने के लिए भी भारत सरकार ने मेडिएशन एक्ट बनाया है।
भारत में लोक अदालत की व्यवस्था भी विवादों को हल करने की दिशा में बड़ा माध्यम है। मुझे याद है कि जब मैं गुजरात में था तब एवरेज एक मामला का न्याय होने तक सिर्फ 35 पैसे का खर्च होता था और पिछले 6 साल में करीब 7 लाख मामलों को लोक अदालत में सुलझाया गया हैं।