नई दिल्ली। जिस तरह से रेमेडिसिविर के लिए बीमार व्यक्ति के परिजनों को भटकना पड़ रहा था उसी तरह अब ब्लैक फंगस बीमारी के परिवार भटक रहे हैं. ब्लैक फंगस के मरीज को लगने वाला इंजेक्शन बाजार में नहीं मिल रहा है.
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बाजार में नहीं मिल रहे ब्लैक फंगस के इंजेक्शन
बता दें कि, बीमार व्यक्ति के परिवार को इधर उधर कहीं भी किसी भी बड़े मेडिकल स्टोर पर ये इंजेक्शन नहीं मिल रहा. देश के लगभग सभी बड़े शहरों में इस इंजेक्शन की भारी कमी देखने को मिल रही है.
ब्लैक फंगस इंजेक्शन की बढ़ी डिमांड
इस इंजेक्शन का प्रोडक्शन करने वाले लैब की माने तो, अभी तक ब्लैक फंगस जैसी बीमारी के लिए इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन की डिमांड ज्यादा नहीं थी. इसलिए मैन्युफैक्चरिंग कम की जा रही थी. लेकिन अचानक इसकी डिमांड इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि, बाजार से यह इंजेक्शन गायब हो रहा है. प्रोडक्शन भी कम हो रहा है.
इंजेक्शन की कालाबाजारी संभव
सिपला कंपनी के लिए रेमेडिसिविर जैसी दवा बनाने वाली Kamla life sciences लैब की माने तो, ब्लैक फंगस के लिए इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन का कुछ प्रोडक्शन उन्होंने किया था. लेकिन रॉ मैटेरियल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है जिसकी वजह से इसका प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा. बाजार में इसकी डिमांड बढ़ने के साथ भारी कमी देखने को मिल रही है.
जानकारों की माने तो, रेमेडिसिविर दवा की कालाबाजारी जिस तरह से शुरू हुई थी अब Liposomal amphotericine इंजेक्शन की भी पूरे देश में कालाबाजारी हो सकती है.
आपको बता दें कि, ये दवा अभी तक बाजार में 5 से 8 हजार में अलग-अलग कंपनियों की मिल रही थी, हालांकि ब्लैक फंगस के आने के बाद अब बाजार से ये इंजेक्शन गायब है.