द लीडर हिंदी, लखनऊ | तमिलनाडु में मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए आयोजित होने वाले राष्ट्रीय प्रवेश और पात्रता परीक्षा को रद्द करने मांग वाला बिल विधानसभा से पास हो गया। इसमें 12वीं के मार्क्स के आधार पर दाखिले की बात कही गई है। इस बिल का विधानसभा में विपक्षी पार्टी अन्ना द्रमुक (AIADMK) ने सपोर्ट किया, वहीं बीजेपी ने वॉकआउट किया।
Tamil Nadu Assembly passes a Bill to scrap NEET; enables admissions to MBBS/BDS based on class 12th marks. AIADMK supported the Bill and BJP staged a walkout.
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— ANI (@ANI) September 13, 2021
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इसके साथ ही विधानसभा में उस छात्र का मुद्दा गूंजा जिसने राष्ट्रीय प्रवेश और पात्रता परीक्षा (नीट) में उपस्थित होने से पहले आत्महत्या कर ली थी। प्रमुख विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने विधेयक पेश किया जिसका कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, पीएमके तथा अन्य दलों के समर्थन किया।
विपक्षी दलों ने CM पर साधा निशाना
एडप्पादी पलानीस्वामी ने वाकआउट करने के बाद कहा “डीएमके ने चुनाव से पहले NEET को खत्म करने का वादा किया था, ऐसा क्यों नहीं हुआ। द्रमुक सरकार की उभयलिंगी स्थिति ने छात्रों को प्रभावित किया है।” एडप्पादी पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक सरकार ने केंद्र से NEET को खत्म करने का आग्रह करने वाला एक प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन इस कदम से अपेक्षित परिणाम नहीं मिला।
छात्र की मौत के बाद आई टिप्पणी
स्टालिन की यह टिप्पणी उस समय आई है जब एक 19 वर्षीय मेडिकल उम्मीदवार सलेम में अपने घर पर मृत पाया गया था, जब वह तीसरी बार NEET परीक्षा में शामिल होने वाला था। तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में एक नीति नोट में कहा कि एक आधिकारिक समिति ने योग्यता परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर चिकित्सा जैसी पेशेवर डिग्री में प्रवेश के लिए और नीट से छूट प्राप्त करने के लिए एक नया कानून बनाने का सुझाव दिया। तमिलनाडु को NEET से छूट देने के लिए पिछले AIADMK शासन के दौरान 2017 में पारित विधेयकों को राष्ट्रपति की सहमति नहीं मिली थी।
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क्या आएगा बदलाव
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा, ‘द्रमुक सरकार शुरू से ही NEET परीक्षा का विरोध कर रही है। इसे पूरा करने के लिए यह प्रस्ताव किया गया है कि मेडिकल प्रवेश केवल कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा के अंकों के आधार पर होगा। यह मानना गलत है कि नीट से चिकित्सा शिक्षा में सुधार होगा। पात्रता परीक्षा किसी भी तरह से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं करती है। सरकारी स्कूलों के छात्रों को इंजीनियरिंग, कृषि, कानून और मत्स्य पालन जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण आवंटित करने का प्रस्ताव किया गया है।
तमिलनाडु में मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET एक भावनात्मक मुद्दा रहा है, जब एक आकांक्षी, अनीता ने परीक्षा से छूट पाने और राज्य द्वारा आयोजित बोर्ड परीक्षाओं के माध्यम से चिकित्सा प्रवेश पाने के अपने कानूनी प्रयासों की विफलता के बाद खुद को मार डाला।
अब तक 15 से ज्यादा छात्र कर चुके हैं आत्महत्या
परीक्षा पास करने के डर से तमिलनाडु में चेपॉक विधायक उदयनिधि स्टालिन की गिनती के अनुसार कम से कम 15 आत्महत्याएं हुई हैं। सरकार द्वारा संचालित प्रयासों सहित कोचिंग केंद्र, छात्रों को चुनौती का सामना करने में सहायता करने के लिए उभरे हैं, लेकिन फिर भी, शहरी निवासियों की तुलना में ग्रामीण उम्मीदवारों का समर्थन कम है। रविवार को, तमिलनाडु में सलेम के पास एक गाँव के एक आकांक्षी धनुष एस ने इस डर से आत्महत्या कर ली कि उसका तीसरा प्रयास विफल हो सकता है।
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पक्ष -विपक्ष के बीच शुरू हुआ आरोप प्रत्यारोप
इस घटना के बाद से अखिल भारतीय अन्ना द्रमुक और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के बीच आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गया है। राज्य सरकार का आरोप है कि इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु में पहली बार नीट का आयोजन तब किया गया जब पलानीस्वामी मुख्यमंत्री थे और यह उस समय भी नहीं किया गया था जब जयललिता मुख्यमंत्री थीं। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में जिन छात्रों ने भी आत्महत्याएं की वह पलानीस्वामी के मुख्यमंत्री रहते हुई।
गौरतलब है कि तमिनाडु में सलेम जिले के एक गांव के रहने वाले 19 वर्षीय एक किशोर ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में बैठने से चंद घंटे पहले रविवार को आत्महत्या कर ली थी। वह तीसरी बार इस परीक्षा में शामिल होने वाला था।
सीएम बोले- अभ्यर्थी निराश था
किशोर की मौत को लेकर आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गया, अन्नाद्रमुक ने द्रमुक को जिम्मेदार ठहराया जबकि द्रमुक ने केंद्र पर निशाना साधा है। मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि अभ्यर्थी धनुष ने आत्महत्या कर ली क्योंकि वह निराश था कि वह दो बार पहले परीक्षा में बैठने के बावजूद उसमें उत्तीर्ण नहीं हो सका।
वहीं मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने जहां एक ओर किशोर की मौत के लिए द्रमुक शासन को जिम्मेदार ठहराया, वहीं स्टालिन ने इस मामले पर केंद्र पर ‘अड़ियल’ रवैया रखने का आरोप लगाया और तमिलनाडु को नीट के दायरे से ‘‘स्थायी रूप से छूट’’ देने के लिए 13 सितंबर को विधानसभा में एक विधेयक पारित करने का आश्वासन दिया।
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