मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी को बड़ी राहत, सजा पर लगी रोक

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द लीडर हिंदी : सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मानहानि केस में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने राहुल गांधी की दो साल की सजा पर रोक लगा दी है.

सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल हो जाएगी. उनके वकील का दावा किया कि मानसून सत्र से ही राहुल गांधी संसद में दिखेंगे.

अधीर रंजन ने संसद में उठाई बहाली की मांग

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोकसभा स्पीकर से राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करने की मांग उठने लगी है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने संसद सत्र के दौरान ही चेयरपर्सन से राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करने की मांग की. माना जा रहा है कि सदस्यता बहाली के बाद राहुल गांधी संसद के मॉनसून सत्र से ही वापसी कर सकते हैं.

दो साल की सजा पर घोषित किया था अयोग्य

आपको बता दें कि 23 मार्च को सूरत की निचली अदालत ने मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी. अगले ही दिन यानी 24 मार्च को राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खारिज कर दी गई थी. इतना ही नहीं, राहुल गांधी को सरकारी आवास भी खाली करना पड़ा था. इसके बाद उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट का रूख किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने सजा से राहत देने से इन्कार कर दिया था.

फैसले के बाद बीजेपी पर बोला हमला

राहुल गांधी की सजा पर रोक का स्वागत करते हुए कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला है. राज्यसभा सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राहुल गांधी संसद के मॉनसून सत्र में हिस्सा लेंगे. वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने कहा कि जिस त्वरित गति से राहुल गांधी को बर्खास्त किया गया था, उसी गति से बहाली की जानी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने अधिकतम सजा पर उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए राहुल गांधी को केस में अधिकतम सजा दिए जाने पर सवाल उठाए. कोर्ट ने पूछा कि अधिकतम सजा क्यों दी गई? अगर जज ने एक साल 11 महीने की सजा दी होती तो राहुल गांधी अयोग्य नहीं ठहराए जाते.

क्या है पूरा मामला

पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि ‘कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?’ इसे लेकर भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ मानहानि का केस दर्ज किया था. जिस पर कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी और उनकी संसद की सदस्यता चली गई थी.