सावधान! फेफड़ों के अलावा और भी अंगों को प्रभावित करता है कोरोना

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द लीडर हिंदी, भोपाल। देश में पहली बार भोपाल एम्स में हुए कोविड शवों के पोस्टमार्टम में जो रिपोर्ट सामने आई उसे जानकार आप हैरान रह जाएंगे. भोपाल एम्स में 21 कोविड शवों की अटॉप्सी के बाद खुलासा हुआ है कि, कोरोना वायरस ने ना सिर्फ फेफड़े बल्कि किडनी, ब्रेन, पैंक्रियाज, लिवर और हार्ट तक पहुंचकर अपना घातक असर दिखाया है.

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शरीर के दूसरे अंगों को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा कोरोना

कोरोना फेफड़ों के अलावा शरीर के दूसरे अंगों को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. यह हैरान करने वाला खुलासा हुआ है भोपाल एम्स की एक स्टडी से. भोपाल एम्स ने बताया कि, इसे मेडिकल जर्नल में पब्लिश होने के लिए भी भेजा जाएगा.

भोपाल एम्स की स्टडी में बड़ा खुलासा

भोपाल एम्स की स्टडी से इस बात का भी खुलासा हुआ है कि, मौत के 20 घंटे बाद तक कोरोना वायरस संक्रमित मरीज के शरीर में पाया गया और मृत व्यक्ति की आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई.

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मृतकों में से 45 फ़ीसदी के ब्रेन में कोविड-19 संक्रमण पहुंचा था

भोपाल एम्स डायरेक्टर डॉक्टर सरमन सिंह ने बताया कि, एम्स भोपाल में पिछले साल अगस्त से नवंबर तक 21 कोरोना संक्रमित मरीजों के शवों का पोस्टमार्टम किया गया. जिसमें सामने आया कि, मृतकों में से 45 फ़ीसदी के ब्रेन में कोविड-19 संक्रमण पहुंचा था. जबकि 90 फ़ीसदी शवों में फेफड़ों के अलावा किडनी में भी कोरोना संक्रमण मिला.

35% शव के पैंक्रियाज में मिला कोरोना वायरस

बता दें कि, 35% शव ऐसे थे जिनके पैंक्रियाज में कोरोना वायरस मिला. अटॉप्सी के दौरान पता चला कि, मरने वाले इन 21 में से 20 मरीजों को पहले से ही अन्य बीमारियां थी जबकि एक मृतक ऐसा था जिसे कोरोना होने से पहले कोई बीमारी नहीं थी और वो पूरी तरह स्वस्थ था.

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इस तरह की ऑटोप्सी पहले देश मे कभी नहीं हुई. इसलिए इसके लिए हर तरह की ज़रूरी इजाज़त ली गयी. यहां तक कि, शवों के पोस्टमार्टम से पहले उनके परिजनों तक को भरोसे में लिया गया तब कहीं जाकर यह स्टडी पूरी हो पाई. अब जल्द ही इसे मेडिकल जर्नल में पब्लिश होने के लिए भेजा जाएगा.

डॉक्टरों ने खुद को सुरक्षित रखते हुए इस काम को दिया अंजाम

वहीं ऑटोप्सी की टीम का नेतृत्व करने वाली डॉक्टर जयंती यादव ने बताया कि, ‘शवों के अंतिम संस्कार में देरी ना हो इसके लिए शवों का सुबह या रात को पोस्टमार्टम किया गया. यह काम बेहद खतरनाक था. इसलिए डॉक्टरों ने खुद को पूरी तरह सुरक्षित रखते हुए इस काम को अंजाम दिया.

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