सांप्रदायिक टकराव से सुर्ख़ियों में आया बरेली का अंजान गांव, बुल्डोज़र की आहट

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द लीडर हिंदी : यौम-ए-आशूर यानी 10 मुहर्रम जब कमोबेश ठीकठाक गुज़र गया. यहां तक कि आंवला के अलीगंज में भी डीएम, एसएसपी ने रात में कैंप करके वहां उपजे विवाद को ठंडा कर दिया. तब दो दिन बाद शाही थाने का गांव गौसगंज सुर्ख़ियों में आ गया. एक संप्रदाय ने दूसरे संप्रदाय के घरों पर चढ़ाई कर दी. तब वजह यह सामने आई कि गांव में मस्जिद के बराबर घर की छत से कुंदनलाल के घर में टॉर्च की रोशनी डाली गई. उनके घर में दो दिन पहले ही बेटे की बहू मायके से विदा होकर आई थी. इसका विरोध करने पर टकराव हो गया. ग़नीमत रही कि फोर्स वक़्त पर पहुंच गया और बड़ी घटना टल गई. पुलिस और उसके अफसरों ने रात में ही दूसरे संप्रदाय के घरों पर तोड़फोड़ और मारपीट करने के आरोपी पीआरडी जवान बख़्तावर समेत बहुतों को हिरासत में ले लिया.

घटना के दूसरे दिन 33 नामज़द और 15 अज्ञात पर मुक़दमा दर्ज कर लिया गया. सभी नामज़दों को पकड़ने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया. पुलिस ने 75 लोगों पर एक मुक़दमा अपनी तरफ से भी दर्ज किया है. दूसरे दिन इतना करने के बाद तीसरे दिन पुलिस ने दो आरोपियों आलमगीर और नज़ाकत अली को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया. जवाबी फायरिंग में पुलिस ने आलमगीर के पैर में गोली मारी थी. पुलिस के रुख़ को देखकर मुस्लिम संप्रदाय के पुरुषों से गांव ख़ाली हो गया है. ज़्यादातर जेल चले गए, जो बचे हैं, वो गांव छोड़कर पुलिस से बचते घूम रहे हैं. इस बीच गांव में महिलाएं बची हैं,. वो इकट्ठा होकर गुज़रे दिन दरगाह आला हज़रत आई थीं. यहां उन्होंने जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा के पदाधिकारियों से मिलकर अपनी बात रखी. बताया कि हमारी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

पुलिस ने तीन महिलाओं को भी हिरासत में ले लिया है. साथ ही 16 आरोपियों के घरों की राजस्व विभाग की टीम ने नाप-जोख की है. माना जा रहा है कि इन घरों के अवैध निर्माण पर बुल्डोज़र चलाया जा सकता है. गांव से तीसरे दिन सदमे भरी ख़बर है. सांप्रदायिक बवाल में घायल पूर्व प्रधान के बेटे तेजपाल (25 वर्ष) की इलाज के दौरान एसआरएमएस में मौत हो गई. इससे गांव में पुलिस के साथ अब पीएसी को भी लगा दिया गया है. दोपहर कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच तेजपाल की गांव में अंंत्येष्टि की गई है. एसएसपी अनुराग आर्य इस मामले को लेकर बेहद सख़्त रुख़ अपनाए हुए हैं.

उन्होंने लापरवाही बरतने वाले सब इंस्पेक्टर राधा कृष्ण हेड कांसटेबिल राजवीर सिंह, सिपाही सुहेल अहमद और गुलफ़ाम को लाइन हाज़िर कर दिया है. उनके ख़िलाफ़ जांच भी शुरू कराई है. सिपाही नफ़ीस अहमद का निलंबन हुआ है. उसके बारे में कप्तान को जानकारी मिली है कि उसका आरोपियों से दोस्ताना है. यही वजह रही कि मुहर्रम पर गांव में ताज़िये को ऐसी जगह रखा गया और ढोल बजाया गया जिसका दूसरे संप्रदाय ने विरोध किया लेकिन पुलिस ने उस पर एक्शन लेने के बजाय दूसरे पक्ष का साथ दिया. कहा जा रहा है कि पुलिस तब सही कार्रवाई करती तो ख़ुराफ़ातियों के हौसले इतने नहीं बढ़ते. शायद एक युवक की जान बच जाती. सौहार्द भी तार-तार नहीं होता. ख़ैर अब इस गांव में बुल्डोज़र की आहट सुनाई दे रही है. जिससे ख़ौफ़ का माहौल साफ़ दिख रहा है. आगे क्या होगा, देखते रहिए द लीडर हिंदी खरी बात मज़बूती के साथ.