Ramzan2022: सऊदी मस्जिदों में धीमी आवाज़ में होगी अज़ान, सिर्फ ईद और जुमे पर छूट

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अज़ान की आवाज़ को लेकर भारत में कई बार विवादित टिप्पणियों से तल्ख माहौल बन चुका है, हालांकि यह दूसरे समुदाय की टिप्पणियों से पैदा हुए थे।सऊदी अरब की हुकूमत ने खुद ही ऐसा फैसला ले लिया है, जिसकी तारीफ हो रही है। हजारों मस्जिद वाले इस मुल्क की सरकार का फैसला यह है कि अब सऊदी मस्जिदों में लाउडस्पीकर की आवाज़ काफी धीमी रहेगी। ऊंची आवाज़ में अज़ान या अन्य धार्मिक कार्यक्रम नहीं होंगे। सऊदी अरब के इस्लामी मामलों के मंत्री ने कहा है कि छूट सिर्फ ईद और जुमे की नमाज के लिए मिलेगी। (Azan Voice Saudi Mosques)

ताजा फैसला ईद और जुमे की नमाज में शामिल होने वाले नमाजियों की बढ़ी संख्या के बावजूद यह भी गारंटी देगा कि बाहर इबादत करने वाले लोग इमाम को सुन सकेंगे।

भले ही तमाम लोगों ने घर से लेकर मस्जिदों तक ध्वनि तीव्रता के डेसिबल स्तर को कम करने के कदम का स्वागत किया है, लेकिन इन फैसलों ने सोशल मीडिया पर बहस भी छेड़ दी। हैशटैग के साथ रेस्तरां और कैफे में तेज संगीत पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की जा रही है। (Azan Voice Saudi Mosques)

इस पर इस्लामी मामलों के मंत्री डॉ अब्दुल्लातिफ बिन अब्दुलअज़ीज़ अल-शेख ने कहा कि आलोचना देश के दुश्मनों द्वारा फैलाई जा रही है, जो जनता की राय को नियंत्रित करने की ख्वाहिश रखते हैं।

इस्लामिक मामलों के मंत्रालय के अनुसार, नाजुक तबीयत वाले बुजुर्ग और छोटे बच्चे बाहर लगे लाउडस्पीकरों की तेज आवाज से दुष्प्रभावित हो सकते हैं।

सोमवार को अल एकबरिया टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में डॉ. अल शेख ने कहा कि मस्जिदों में रोजाना लाउडस्पीकर लगते हैं, यह शरिया का हिस्सा नहीं है। उन पर प्रतिबंध या नियंत्रण लगाने से मुसलमानों में चिंता पैदा नहीं होनी चाहिए।

डॉ. अल शेख के अनुसार, अज़ान (प्रार्थना करने का आह्वान) नमाज के वक्त किया जाता है। लोगों को इकामा (नमाज के लिए दूसरी पुकार) का इंतजार करने के बजाय मस्जिद में जाना चाहिए, नमाजी समय पर मस्जिद में हों, खासतौर पर मस्जिद के दायरे के लोगों को। (Azan Voice Saudi Mosques)

सऊदी अरब कुछ अरसे से सुर्खियों में है, जिसने उदारवादी इस्लामिक रुख को बढ़ावा दिया है। सामाजिक प्रतिबंधों को भी ढीला कर दिया है, महिलाओं को ड्राइविंग से लेकर कई तरक की नौकरी में उतारना, संगीत कार्यक्रमों और एथलेटिक आयोजनों की अनुमति देना, जिन पर दशकों से तरह-तरह के प्रतिबंध थे। दो-तिहाई से ज्यादा युवा आबादी नए सामाजिक मानकों से काफी खुश है।


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