कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने क्यों एक बार फिर सीएम अमरिंदर सिंह को निशाने पर लिया ?

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चंडीगढ़ । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने आज एक बार फिर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का नाम लिए बगैर उन पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर पूछा कि बेअदबी केस की गृह मंत्री के लिए प्राथमिकता नहीं थी। जिम्मेदारी से भागना और एडवोकेट जनरल को बलि का बकरा बनाने का सीधा अर्थ है कि अफसरशाही कंट्रोल में नहीं है। एडवोकेट जनरल का नियंत्रण किसके हाथ में है। जिम्मेदारियों से भागने के इस खेल में लीगल टीम तो मात्र प्यादे हैं।

मुख्यमंत्री के साथ-साथ गृह मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे अमरिंदर सिंह पर हमला बोलते हुए सिद्धू ने ट्वीट किया, ‘‘क्या गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान का मामला गृह मंत्रालय के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता वाला नहीं है.?’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘जवाबदेही से बचना और महाधिवक्ता को बलि का बकरा बनाना, इससे दिखता है कि कार्यकारी प्रशासन के पास कोई नियंत्रण नहीं है. महाधिवक्ता पर किसका आदेश चलता है? जवाबदेही से बचने के इस खेल में कानूनी दल सिर्फ एक मोहरा है.’’ कांग्रेस के एक अन्य नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी हाल ही में ऐसे ही आरोप लगाए थे.

कांग्रेस के पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत ने कैप्टन और सिद्धू के बीच की दूरियाें को मिटाने के लिए काफी काम किया और दोनों के बीच दो मुलाकातें भी करवा दीं, जिससे यह जाहिर होने लगा था कि सिद्धू जल्द ही कैबिनेट में वापसी कर सकते हैं,  लेकिन दूसरी मीटिंग के बाद से ही सिद्धू ने कैप्टन पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। उन्होंने लगातार दो प्रेस कान्फ्रेंस मुख्यमंत्री के विधानसभा हलके पटियाला में करके उन्हें चुनौती भी दी है।

गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा 2015 में फरीदकोट के कोटकपुरा में गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस द्वारा गोलियां चलाए जाने के मामले में जांच रिपोर्ट खारिज किए जाने के बाद सिद्धू ने टिप्पणी की है.

अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह मामले की जांच के लिए नए सिरे से एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन करे और उसमें आईपीएस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह को शामिल ना करे.

गौरतलब है कि अदालत द्वारा जांच रिपोर्ट फिर से खारिज किए जाने के बाद सिंह ने पद से इस्तीफा दे दिया है. महीने की शुरुआत में अमृतसर से विधायक ने मांग की थी कि मामले की एसआईटी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए.

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