द लीडर : आला हज़रत के दीवाने उर्से रज़वी की महफ़िल के दीदार के लिए पिछले तीन साल से छटपटाकर रह गए. देश-दुनिया में बंदिशें आम थीं. एक आफ़त, जिसने लाखों-करोड़ों इंसानों को तोड़ दिया. घर के घर तबाह हो गए. इंसानी नुकसान के साथ आर्थिक कहर भी टूट पड़ा. हालात किस क़दर दुश्वार थे, चर्चा की ज़रूरत नहीं. लेकिन अब जैसे ही स्थितियां सही हुईं. ज़िदंगी पटरी पर आने लगी. लाखों लाख लोग अक़ीदत-रूहानियत के उस अनूठे नज़ारे का गवाह बनने को मचल उठे, जिससे वो तीन साल तक महरूम रहे. इस बार मौक़ा मिला तो नये जोश व मुहब्बत का नज़राना लेकर बरेली उमड़ आए. आला हज़रत की दरगाह पर पर हाज़िरी दी. दुआएं मांगी. (Ala Hazrat Bareilly News)
बरेली में ये रूहानियत की ये महफ़िल उर्से रज़वी में सजी. इस बार 21, 22 और 23 सितंबर को फाज़िले बरेलवी इमाम अहमद रज़ा ख़ान का तीन रोज़ा उर्स मनाया गया. प्रमुख मंच इस्लामिया इंटर कॉलेज का मैदान था. जो बरेली के बीचों-बीच है, जिसके पांच किलोमीटर के दायरे में हर तरफ़ भीड़ ही भीड़ नज़र आ रही थी. मुख्य सड़कें जाम थीं. वाहनों के साथ आने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जगह-जगह बैरिकेड्स लगाए गए थे. गलियों में पैर रखने की जगह नहीं थी.
https://www.facebook.com/theleaderhindi/videos/465481755511958
जुमे को आला हज़रत के कुल का आलम ये था कि शहर के बीचों-बीच का ये इलाक़ा ठहर सा गया. आला हज़रत, मुफ़्ती आज़म हिंद और ताजुश्शरिया के नारों की सदाएं बुलंद होती रहीं. दीवाने अपने पीर की शान में ज़ोश-ओ-ख़रोश के साथ नारे लगाते हुए क़ुल की महफ़िल की तरफ़ बढ़ते गए. उर्से रज़वी के मंच पर दरगाह आला हज़रत के प्रमुख मौलाना सुब्हान रज़ा ख़ान-सुब्हानी मियां, सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी-अहसन मियां और ख़ानदान के बुजुर्ग थे. जहां कुल के दरम्यान सज्जादानशीन ने ज़ायरीन के हक़ में दुआएं कीं. उन सारे दर्द और तक़लीफ़ों से निजात पाने का ज़िक्र भी अपनी दुआओं में किया, जो अक़ीदतमंद आला हज़रत की दरगाह पर सिसक-सिसक कर बयान करके आए. (Ala Hazrat Bareilly News)
इसे भी पढ़ें-बरेली में भीड़ का नया अध्याय लिख गया आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ान का 104वां क़ुल
ये नज़ारा केवल इस्लामिया इंटर कॉलेज मैदान तक सीमित नहीं था. शहर से क़रीब 12 किलोमीटर की दूरी पर आबाद मथुरापुर के मदरसा जामियातुर्रज़ा का भी यही आलम था. बस्ती-बस्ती करिया-करिया, ताजुश्शरिया, ताजुश्शरिया….की आवाजें गूंज रही थीं. मदरसे के विशाल कैंपस से लेकर हाईवे तक सब, भीड़ से खचाखच भरा था. दरगाह ताजुश्शरिया के सज्जादानशीन मुफ़्ती असजद रज़ा क़ादरी-असजद मियां ने मुस्लिम समुदाय के ज़रूरी मसलों पर चर्चा की. जिसमें मदरसा, मस्जिदों की सुरक्षा तक शामिल रही. और बाद में सबके हक़ में दुआ की.
उर्से रज़वी का तीसरा मंच मदरसा जामिया नूरिया रज़विया में था. जहां आला हज़रत ख़ानदान की सबसे बुजुर्ग शख़्सियत मौलाना मन्ना रज़ा ख़ान-मन्नानी मियां ने महफ़िल सजाई थी. यहां अंबेडकर नगर के किछौछा की मशहूर दरगाह मख़दूम अशरफ़ जहांगीर सिमनानी के सैयद हाशमी मियां भी तशरीफ़ लाए, दरगाह से आए सैयद जामी अशरफ़ के अलावा देश-दुनिया के नामवर उलमा की मौजूदगी में कुल की रस्म अदा की गई. तीनों मंचों के सामने मौजूद अक़ीदतमंदों का जोश एक जैसा ही था. एक ऐसा नज़ारा जो दिल को छू रहा था. (Ala Hazrat Bareilly News)
https://www.facebook.com/theleaderhindi/videos/5518378494905407/
इतने विशाल आयोजन को शांतिपूर्वक संपन्न कराने और उसकी व्यवस्थाओं का खाका खींचने में पुलिस-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी लगातार सक्रिय रहे. बरेली की कमिश्नर सेल्वा जे, एडीजी राजकुमार, आईजी रमित शर्मा, डीएम शिवाकांत द्विवेदी और एसएसपी अखिलेश चौरसिया ख़ुद उर्से रज़वी के आयोजन पर नज़र बनाए रहे. तीन दिन तक इन अफ़सरों की निगरानी में पुलिस-प्रशासन ने शानदानर मैनेजमेंट के साथ आयोजन को बेहद सुकून और शांति के साथ संपन्न कराया है. इन सभी का दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां की तरफ़ से शुक्रिया अदा किया है. दरगाह आला हज़रत के ज़िम्मेदारान ने उर्स की अच्छी कवरेज के लिए द लीडर हिंदी को भी शुक्रिया कहा है.
इस्लामिया में उर्स की व्यवस्थाओं की ज़िम्मा टीटीएस ने संभाला. मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी के अलावा परवेज़ नूरी, शाहिद नूरी, औरंगज़ेब नूरी, राशिद अली खान, हाजी जावेद खान, ताहिर अल्वी, सय्यद फैज़ान अली,शान रज़ा, तारिक सईद, हाजी शारिक नूरी, मंज़ूर खान आदि रहे. (Ala Hazrat Bareilly News)
वहीं, मदरसा जामियातुर्रज़ा में जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा के उपाध्यक्ष सलमान हसन ख़ान और महासचिव फ़रमान हसन ख़ान की निगरानी में व्यवस्थाएं की गईं. उर्स कमेटी से जमात के मीडिया प्रभारी समरान ख़ान, डॉक्टर मेंहदी हसन, शमीम अहमद, हाफिज़ इकराम रजा खां, मोईन खान, समरान खान, अब्दुल्लाह रज़ा खां आदि लोग व्यवस्थाओं में रहे.