Bareilly : तौबा की शर्त पर अटकी रज़वी और अशरफ़ी बुजुर्गों के बीच दूरियां पाटने की कोशिश

द लीडर : आला हज़रत का 104वां उर्स जहां अक़ीदतमंदों की तारीख़ी भीड़ का गवाह बना, वहीं बरेली और किछोछा के बीच रिश्तों को लेकर नई बहस भी कराया गया है. आला हज़रत ख़ानदान की सबसे बुज़ुर्ग शख़्सियत मौलाना मन्नान रज़ा ख़ान मन्नानी मियां ने दोनों ख़ानकाहों, आला हज़रत और सय्यद मख़दूम अशरफ़ जहांगीर सिमनानी में इत्तेहाद की तरफ़ अहम क़दम बढ़ाया. उनके इस क़दम का नतीजा यह आया कि यह आधा कामयाब और आधा नाकाम रहा. (Ala Hazrat Syed Hashmi Miyan)

पहले आपको सुनवाते हैं कि मन्नानी मियां ने किछोछा से किन शख़्सियत को आला हज़रत के उर्स में शिरकत की दावत दी. और मन्नानी मियां के इतना करने भर से ही सूफ़ी सुन्नी ख़ानक़ाहों से जुड़े लोगों के बीच सोशल मीडिया पर तक़रार शुरू हो गई. हिमायत और मुख़ालेफ़त में वीडियो-ऑडियो सामने आने लगे. बरेली के उलमा इस मसले पर ख़ामोश थे. तब द लीडर हिंदी ने सूरत-ए-हाल साफ़ करने के लिए नबीर-ए-आला हज़रत मौलाना तौक़ीर रज़ा ख़ान की अगुवाई वाली आइएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. नफ़ीस ख़ान और मीडिया प्रभारी मुनीर इदरीसी को बुलाकर उनसे लाइव बातचीत की. सुनिए-उन्होंने हमसे बात करते हुए क्या कहा.

इसके बाद जब किछोछा से हाशमी मियां और जामी मियां तशरीफ़ लाए तो उनका बरेली में यादगार इस्तक़बाल हुआ. हाशमी मियां ने द लीडर से बरेली से रिश्तों के सवाल पर क्या कहा, यह भी जान लीजिए… (Ala Hazrat Syed Hashmi Miyan)


इसे भी पढ़ें-आला हज़रत के दीवानों को जोश से लबरेज़ कर गया उर्स-ए-रज़वी में तीन साल का इंतज़ार, तस्वीरें देख ठहर जाएगी नज़रें


 

दरअसल किछोछा और बरेली को लेकर अगर तनाज़े की जड़ तक पहुंचे तो वह हाशमी मियां बनाम ताजुश्शरिया था. ज़ाहिर सी बात है, बात जिन्होंने शुरू की, ख़त्म भी उन्हीं से होगी. हाशमी मियां के अपनी बात रखने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि जानशीन ताजुश्शरिया क़ाज़ी-ए-हिंदुस्तान मुफ़्ती असजद रज़ा ख़ान क़ादरी-असजद मियां इस मसले पर अपनी बात ज़रूर रखेंगे और उन्होंने रखी भी…

इस तरह साफ़ हो जाता है कि हाशमी मियां और जामी मियां के बरेली आकर सकारात्मक बातें कहे जाने के बावजूद बरेली और किछोछा के बीच विवाद ख़त्म नहीं हुआ. तौबा पर अटक गया है. जानशीन ताजुश्शरिया ने साफ़ कर दिया है कि तौबा नहीं तो इत्तेहाद नहीं. अब मन्नानी मियां की मुद्दत बाद दोनों ख़ानक़ाहों आला हज़रत और सय्यद अशरफ़ जहांगीर सिमनानी की नामवर शख़्सियत एक करने के बीच तौबा मसला खड़ा हो गया है. देखना होगा. तौबा की शर्त पर मन्नानी मियां और हाशमी मियां का रद्द-ए-अमल क्या रहता है. (Ala Hazrat Syed Hashmi Miyan)


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Ateeq Khan

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