भारत, कई धर्म-जातियों, भाषाओं नस्लों के साथ मिलकर एक जबरदस्त विविधता (Diversity) वाला मुल्क है. इसकी वजह यह है कि ये मोटे तौर पर अप्रवासियों (Migrants) का देश है. जैसे उत्तरी अमेरिका. पर ये विविधता हमारी बड़ी कमजोरी की जड़ भी है. तब तक, जब तक कि हम एक-दूसरे से लड़कर अपनी ऊर्जा और संसाधनों को बर्बाद करते रहेंगे. लेकिन एकजुट हो जाएं तो यही विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत का स्रोत भी बन सकती है. (India Citizens Stop Fighting Justice Katjus)
मसलन, यूएसए भी महान विविधताओं वाला देश है. यूरोप के विभिन्न देशों और बाद में एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों से लोग यहां आकर बसे. इनमें हर शख्स अपने ज्ञान, तकनीकी हुनर और संस्कृति को साथ लेकर आया. इस सबके साथ ये तेजी से आगे बढ़ा और अमेरिका दुनिया का सबसे विकसित और समृद्ध मुल्क बन गया.
अगर इस लिहाज से देखें, तो भी हमारी विविधता बहुत महान, ताकतवर और समृद्धि का माध्यम बन सकती है. बशर्ते, हमें एक-दूसरे से लड़ना बंद करना चाहिए. सभी धर्मों, संप्रदायों और समुदाय के लोगों को एक समान, सम्मान देते हुए एकजुटता के साथ काम करने की जरूरत है.
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महान मुगल सम्राट अकबर ने ये महसूस किया था. अकबर ने सभी को एक समान, सम्मान दिया था. (एक अन्य लेख में मैं इसका जिक्र कर चुका हूं.) जिसकी वजह से भारत एक समृद्ध देश बना. और मुगल साम्राज्य इतने लंबे समय तक चल सका.
हमारा राष्ट्रीय फोकस भारत को एक अविकसित देश से उच्च विकसित, औद्योगिक और समृद्ध देश में बदलने का, होना चाहिए. वरना, हम बड़े पैमाने पर गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण से जूझते रहेंगे. हमें उचित स्वास्थ्य सेवा और अच्छी शिक्षा की जरूरत है.
उच्च विकसित होने की दिशा में भारत का ये एतिहासिक बदलाव पराक्रमी लोगों के संघर्ष से संभव है, जो अगले 10-20 साल तक हो सकता है. और ये संघर्ष केवल तभी तक संभव है, जब हम फिरकों में न बंटकर एकजुटता बनाए रखेंगे. जैसे कि आज हैं.
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वर्तमान के किसान आंदोलन ने हमें एकजुट किया है. क्योंकि इसने जाति-धर्म के बंधनों को तोड़ा है. इसमें कोई शक नहीं कि ये हमारे संघर्ष की केवल शुरुआत भर है. और कामयाबी हासिल तक इसे जारी रखना होगा. इस यात्रा में कई मोड़ हैं. पीछे भी हटना पड़ सकता है, लेकिन अच्छी बात ये है कि शुरुआत हो गई है.
इस एकजुटता के नतीजे में ऐसी राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था आकार लेगी. जिससे भारत का औद्योगीकरण रफ्तार पकड़ेगा और. नागरिकों का जीवन स्तर ऊंचा होगा.
(ये लेख जस्टिस मार्केंडय काटजू ने लिखा है. वे प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष व सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस रहे हैं. अंग्रेजी में प्रकाशित लेखक का ये हिंदी अनुवाद है.)