द लीडर। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. कमलापति त्रिपाठी के पोते और कांग्रेस के पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा कि, पार्टी के अंदर कुछ कमियां दिख रही थीं और उनको दुरुस्त करने के लिए हम लोग प्रयासरत थे. स्थितियों में सुधार नहीं हुआ इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया. हम लोगों की यह इच्छा है और प्रयास रहेगा कि, कांग्रेस हमेशा मजबूत रहे. पार्टी छोड़कर दूसरी जगह जाने के सवाल पर ललितेश ने कहा कि, अभी आगे का रास्ता क्या होगा इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री थे कमलापति त्रिपाठी
आपको बता दें कि, कमलापति त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री थे. कांग्रेस परिवार से उनके पुराने रिश्ते हैं, जो रिश्ते हमेशा जिंदा रहेंगे. कांग्रेस पार्टी छोड़ने पर पूर्वांचल की सियासत में एक बार माहौल गर्मता दिख रहा है. पंडित कमलापति त्रिपाठी के पोते ममिर्जापुर के मड़िहान से पूर्व विधायक रहे ललितेशपति त्रिपाठी ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया. जिससे कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. ललितेश के पार्टी छोड़ने से पूर्वी उत्तर प्रदेश में बुरा असर पडे़गा. बता दें कि, आगे कि, क्या रणनीति होगी ये अभी तक तय नहीं की गई है.
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बुधवार को वाराणसी एयरपोर्ट पर बातचीत के दौरान ललितेश ने कहा कि, आगे की रणनीति तय करने के लिए अपने लोगों से बातचीत जरूरी है. अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने के बाद इस पर विचार विमर्श किया जाएगा. आगे जाने का रास्ता उन्हीं लोगों के माध्यम से तय किया जाएगा.
औरंगाबाद हाउस पर तय होगी आगे की रणनीति
पूर्व मुख्यमंत्री पं. कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेश पति त्रिपाठी भविष्य की रणनीति पर आज खुलासा करेंगे। औरंगाबाद हाउस पर बृहस्पतिवार को आगे की रणनीति पर चर्चा करने के बाद उसको सार्वजनिक करेंगे। ललितेश के अपने पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस में हलचल तेज हो गई है। वहीं पूर्वांचल में भी कांग्रेस आगे की रणनीति पर विचार कर रही है।
कभी यूपी में कांग्रेस का पहला परिवार था औरंगाबाद हाउस
वाराणसी स्थित औरंगाबाद हाउस कभी लखनऊ से लेकर दिल्ली तक की सियासत का केंद्र रहा. एक जमाने में इसे यूपी में कांग्रेस का पहला परिवार कहा जाता था. पूर्वांचल से लेकर बिहार के नेताओं का भी यहां जमावड़ा रहा. औरंगाबाद हाउस के मुखिया यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और दो बार रेल मंत्री रहे कमलापति त्रिपाठी थे. कहते हैं कि, उनके पूर्वज मुगलशासक औरंगजेब के कार्यकाल के दौरान वाराणसी में बस गए थे.
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कमलापति त्रिपाठी के बड़े बेटे लोकपति त्रिपाठी यूपी में कांग्रेस के आखिरी कार्यकाल के दौरान मंत्री रह चुके हैं. लोकपति के बेटे राजेशपति त्रिपाठी कांग्रेस के सदस्य रहे लेकिन यूपी में पार्टी के बुरे दौर के कारण वह राजनीति में गुम हो गए. औरंगाबाद हाउस की चौथी पीढ़ी ललितेशपति त्रिपाठी ने 2012 चुनाव में मीरजापुर की मड़िहान सीट से जीत दर्ज की. वह राहुल गांधी की कोर टीम के सदस्य थे. वहीं अब उन्होंने भी कांग्रेस का दामन छोड़ दिया है.