द लीडर हिंदी: भारत में त्यौहारों का सीजन शुरू हो गया.ऐसे में शुक्रवार को बांग्लादेश से हिलसा मछलियों की पहली खेप दुर्गा पूजा के ठीक पहले हावड़ा के थोक मछली बाज़ार पहुंची है.दरअसल कोलकाता में दुर्गा पूजा के दौरान हिल्सा मछली का भोग लगाया जाता है. हिल्सा मछली को ‘मछलियों का राजा’ कहा जाता है और इसे बंगाली संस्कृति में बहुत महत्व दिया जाता है. दुर्गा पूजा के दौरान, लगभग हर बंगाली घर में सरसों के तेल में हिल्सा पकाई जाती है.जिसके चलते दुर्गा पूजा के ठीक पहले बांग्लादेश से हिलसा मछलियों की पहली खेप प. बंगाल पहुंची है.
वही हावड़ा थोक मछली बाजार एसोसिएशन के सचिव सैयद अनवर मकसूद ने समाचार एजेंसी से कहा, “हर साल की तरह इस साल भी हमने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को चिट्ठी लिखी कि दुर्गा पूजा के मौके पर हमें हिलसा मछली दें.”उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में आंतरिक राजनीतिक उथल पुथल के बीच इस बार कुछ देर हुई है. “लेकिन कल पेट्रापोल भूमि सीमा से 45 से 50 मीट्रिक टन हिलसा मछलियों की पहली खेप शुक्रवार सुबह से ही हावड़ा और सिलीगुड़ी के मछली बाज़ारों में पहुंच गई है.
“”यहां लोगों में बांग्लादेश की ‘पद्मा’ हिलसा मछलियों के लिए एक अलग किस्म का उत्साह है. बता दें अभी इसकी क़ीमत थोक बाज़ार में 1400 से 1500 रुपये प्रति किलो है.” उन्होंने कहा कि शनिवार से हिलसा मछलियों का आना शुरू हो जाएगा तो जल्द ही क़ीमतों में कमी आएगी.बांग्लादेश हिलसा मछली का सबसे बड़ा उत्पादक देश है.पांच अगस्त को देश में भारी राजनीतिक उथल पुथल के बीच वहां की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को इस्तीफ़ा देकर देश छोड़कर जाना पड़ा था.
उसके बाद बनी अंतरिम सरकार ने पहले से चले आ रहे प्रतिबंधों को और कड़ा कर दिया था.बांग्लादेश में मत्स्य पालन मंत्रालय की सलाहकार फ़रीदा अख़्तर ने कहा था, ”सरकार की कोशिश है कि पसंदीदा मछली पहले स्थानीय लोगों को मिले.””प्रतिबंध के बावजूद अब भी बहुत सारी मछलियां भारत जा रही हैं. अब हम सीमा पार हिलसा मछली जाने की अनुमति नहीं देंगे.”