मलयालम इंडस्ट्री में औरतों की हालत बदतर! जानिए हेमा कमिटी की रिपोर्ट पर क्या बोले शशि थरूर

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द लीडर हिंदी : जब भी नेपोटिज्म की बात आती है. तो बॉलीवुड का नाम सबसे ऊपर निकलकर आता है. क्योकि फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म को लेकर बहस लंबे समय से चली आ रही है.समय-समय पर छोटे से लेकर बड़े कलाकार इसके पक्ष और विपक्ष में बयान देते नजर आए है.बॉलीवुड में कई एक्टर्स नेपोटिज्म के चलते परेशान हुए हैं. कुछ को तो नेपोटिज्म के चलते कई फिल्मों से हाथ भी धोना पड़ा.लेकिन आज एक बात स्पष्ट कर दूं नेपोटिज्म हर जगह मौजूद है. नेपोटिज्म भी कई किस्म के होते है.अब बात मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की कर ले.यहां की हालत काफी बदतर है.क्योकि एक रिपोर्ट में मलयालम सिनेमा में महिलाओं के प्रति एक गलत नजरिए को भी देखा गया और इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच सिंड्रोम की भी पुष्टि की गई. दरअसल मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में कई सालों से महिलाओं की बदतर स्थिति को लेकर खबरें आ रही हैं. इनमें किसी का भी नाम सामने नहीं आता है लेकिन इसके पीछे बड़े और पावरफुल स्टार्स बताए जाते हैं. अब हेमा समिति की रिपोर्ट में इससे जुड़े कई खुलासे हुए हैं. हेमा कमिटी रिपोर्ट लंबे वक़्त के इंतज़ार के बाद जारी हो गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि मलयालम सिनेमा में महिलाओं की कामकाज़ी स्थितियां कैसी हैं.वही रिपोर्ट देरी से जारी किए जाने को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने केरल सरकार के प्रति नाराज़गी व्यक्त की.

शशि थरूर ने कहा, “ये बेहद शर्मनाक है कि सरकार ने रिपोर्ट को पाँच साल तक दबाए रखा और अब दबाव में आकर जारी किया है. वो इसके परिणामों का सामना करने के लिए तैयार नहीं है.” उन्होंने कहा कि सरकार को खुद पर शर्म आनी चाहिए. केरल फिल्म इंडस्ट्री की देश और दुनिया भर में प्रसिद्ध निर्देशकों और कलाकारों के साथ प्रतिष्ठा है और यह एक सम्मानित इंडस्ट्री है.थरूर ने कहा कि इस तरह की इंडस्ट्री को कलंकित होते देखना, महिलाओं के लिए असुरक्षित कामकाजी माहौल बनाना और डराने-धमकाने और इससे भी बदतर कार्यों के ज़रिए इसे जारी रखना माफी के योग्य नहीं है.

शशि थरूर ने कहा, “ये वो नहीं है जो केरल के लिए होना चाहिए. हमें एक ऐसा राज्य होने पर गर्व है, जो 200 साल से अधिक वक्त से लड़कियों को प्राथमिक स्तर पर शिक्षित करने के मामले में पहले स्थान पर है. जिसने महिलाओं को सशक्त बनाया है.”उन्होंने कहा, “इस रिपोर्ट को पूरी तरह प्रसारित करने, चर्चा करने और इस पर कार्रवाई किए जाने ज़रूरत है. इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता कि किनकी प्रतिष्ठा प्रभावित होती है. एक महिला के लिए शिकायत करना आसान नहीं होता. जिन्होंने शिकायत की उनकी भी प्रतिष्ठा और करियर था. लेकिन उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वो जानते हैं कि तथ्यों का सामने आना ज़रूरी है.”

जानिए क्या है हेमा कमिटी रिपोर्ट?

बता दें इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मलयालम सिनेमा में महिलाएं किस स्थिति में काम करती हैं.रिपोर्ट में यौन शोषण, अवैध प्रतिबंध, भेदभाव, नशीली दवाओं और शराब का दुरुपयोग, वेतन में असमानता और कुछ मामलों में अमानवीय कामकाज़ी परिस्थिति की भयानक कहानियां बताई गई हैं. 235 पन्नों की ये रिपोर्ट पीड़ितों और अभियुक्तों के नाम के बिना सोमवार को जारी की गई है. इस रिपोर्ट में इंडस्ट्री के भीतर “कास्टिंग काउच” की अफवाह की पुष्टि भी की गई है. केरल सरकार ने सोमवार को न्यायमूर्ति के हेमा समिति की रिपोर्ट जारी की, जिसमें मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की कामकाजी स्थितियों पर गौर किया गया. 295 पन्नों के प्रारंभिक मसौदे से 63 पन्नों को हटाने के बाद आरटीआई अधिनियम के तहत जारी की गई रिपोर्ट में निर्देशकों, निर्माताओं और एक्टर्स सहित 15 बड़े शॉट्स से जुड़े एक मेल ग्रुप का पता चलता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पावर ग्रुप यह तय करता है कि किसे इंडस्ट्री में रहना चाहिए और किसे फिल्मों में लेना चाहिए.https://theleaderhindi.com/congress-leader-digvijay-singh-becomes-corona-positive-will-remain-isolated-for-five-days/