फ्रेंडशिप डे के मौके पर डालते है भारतीय राजनेताओं की दोस्ती पर नज़र

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द लीडर हिंदी: आज 4 अगस्त 2024 को दुनिया भर में फ्रेंडशिप डे मनाया जा रहा है. दोस्ती का रिश्ता दुनिया के हर रिश्तों से काफी स्पेशल माना जाता है.क्योकि दुनिया में यह इकलौता ऐसा रिश्ता है जो आप खुद चुनते है. आम दोस्ती की रिश्तों से तो हम वाकिफ है. लेकिन क्या ये रिश्ते राजनीति जगत में भी पक्के होते है.इसके बारे में भी आपको बताते है.वैसे तो लगभग हर किसी का कोई न कोई बेस्ट फ्रेंड या सबसे अच्छा दोस्त होता होगा. लेकिन भारत में कई ऐसी शख्सियत हैं, जिनकी दोस्ती काफी फेमस है. जो जिस फील्ड या कार्यक्षेत्र में होता है, वहां उसकी किसी न किसी से बेहद जमती है. उनकी अच्छी जोड़ी और मिल कर काम करने के तरीके से आसपास के लोग प्रभावित होते हैं लेकिन अगर इसी कांसेप्ट को राजनीति में रख कर देखा जाये तो लोगों के मन में ये सवाल जरूर उठेगा कि राजनीति में कौन किसका दोस्त है.वैसे तो देश में जिस तरह का माहौल है. इससे तो ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2024 राजनीति में न कोई स्थाई दोस्त है और न ही दुश्मन लेकिन आपको बताते चले कि कुछ नेता ऐसे भी रहे जिनकी दोस्ती के किस्से आज तक मशहूर हैं. फ्रेंडशिप डे के दिन हम आपको राजनीतिक जगत में कुछ ऐसे ही दोस्ती के किस्से बताने जा रहे हैं जो हमेशा चर्चा में रहे.

1- भारतीय राजनीति में जब भी सबसे अच्छे दोस्तों की बात होती है तो पहला नाम आता है लाल कृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी का है. दोनों कई दशक तक अच्छे मित्र रहे.बता दें अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की दोस्ती 1950 के दशक में हुई थी. दोनों भारतीय जनसंघ में थे, जिसे अब भाजपा माना जाता है. वैसे तो भाजपा को अब दुनिया की सबसे बड़ी और ताकतवर पार्टी कहा जाता है, लेकिन इसे इस काबिल बनाने में इन दोनों नेताओं की अहम भूमिका निभाई है.

दरअसल वाजपेयी और आडवाणी ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी का भी मिलकर विरोध किया था. 1999 से 2004 तक वाजपेयी देश के पीएम तो आडवाणी गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री रहे थे.

2- बेशक अमर सिंह और मुलायम सिंह यादव आज हमारे बीच ना हो. लेकिन इनकी दोस्ती जगजाहिर थी. दरअसल समाजवादी पार्टी में बॉलीवुड का तड़का लगाने के लिए अगर किसी को याद किया जाएगा तो वह नाम अमर सिंह का होगा. अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, संजय दत्त से लेकर कई बडी बॉलीवुड की हस्तियों को समाजवादी पार्टी के साथ जोड़ने का काम अमर सिंह ने किया था.

अमर सिंह और मुलायम सिंह की पहली मुलाता की बात करें तो यह मुलाकात एक हवाई यात्रा के दौरान हुई थी. साल 1996 में जब मुलायम सिंह यादव हवाई यात्रा कर रहे थे तो इसी फ्लाइट में मुलायम सिंह की मुलाकात बिजनेसमैन अमर सिंह से हुई थी. उस वक्त मुलायम सिंह यादव देश के रक्षामंत्री थे.लेकिन धीरे-धीरे अखिलेश यादव के सक्रिय राजनीति में आने के बाद भले अमर सिंह समाजवादी पार्टी से दूर हुए लेकिन मुलायम संग उनकी घनिष्ठता हमेशा बरकरार रही. साल 2020 में अमर सिंह के निधन के साथ तीस सालों की ये दोस्ती टूट गई थी.

3-जब भी कमलनाथ का राजनीतिक सफर लिखा जायेगा, तब उसमें एक नाम जरूर आयेगा और वो नाम संजय गांधी का है. जी हां कांग्रेस के बड़े नेता और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ संजय गांधी के बहुत अच्छे दोस्त थे. दोनों दून स्कूल में साथ ही पढ़े और राजनीति में भी साथ ही एक्टिव हुए.

आपको बतादें संजय गांधी और कमलनाथ की गहरी दोस्ती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक दौर में यह नारा काफी मशहूर था- इंदिरा के दो हाथ, संजय और कमलनाथ. कमलनाथ को इंदिरा अपना तीसरा बेटा मानती थीं.1980 में संजय गांधी का निधन हो गया.और ये दोस्ती टूट गई. देहांत के बाद दोनों दोस्त अलग हो गए.लेकिन आज भी कमलनाथ कांग्रेस के साथ बने है.

4-दोस्ती की बात आए और राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन की दोस्ती का जिक्र ना हो ऐसा हो नहीं सकता. इनकी दोस्ती किसी से छिपी नहीं थी. सोनिया गांधी जब राजीव से शादी के लिए भारत आईं तब वह अमिताभ के घर पर ही रहती थीं. राजीव के कहने पर ही अमिताभ राजनीति में भी आए थे. लेकिन राजीव गांधी के निधन के बाद ये दोस्ती हमेशा के लिए खत्म हो गई.

मोदी-शाह की दोस्ती दशकों पुरानी

पुरानी दोस्ती के बाद अब बात करते है आज के युग की दोस्ती की जो आज भी कायम है.पीएम मोदी और देश के गृह मंत्री अमित शाह की दोस्ती के किस्से सभी ने सुने होंगे, लेकिन इसके इतिहास से हर कोई वाकिफ नहीं है. मोदी और शाह की दोस्ती दशकों पुरानी है और भारतीय राजनीति में सबसे मजबूत भी गिनी जाती है.मोदी-शाह का रिश्ता 1980 के दशक से है. दोनों में दोस्ती तब से है, जब मोदी गुजरात के सीएम भी नहीं थे. दोनों दोस्त एक आरएसएस मीटिंग में मिले थे. तब मोदी आरएसएस प्रचारक थे और शाह आरएसएस के एक साधारण स्वयंसेवक.शाह ने एक बयान में बताया था कि आरएसएस की शाखाओं में कई लोग ऐसे ही मिल जाते हैं, लेकिन उनसे गहरी दोस्ती हो जाती है. गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला ने शाह और मोदी की दोस्ती को ‘एक ही पंख के पक्षी’ बताया था.

केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पक्के दोस्त
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की दोस्ती काफी चर्चित रही है.दोनों में दोस्ती तब हुई जब सिसोदिया पेशे से पत्रकार और केजरीवाल भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी थे. केजरीवाल एक एनजीओ चलाते थे, जहां दोनों की मुलाकात हुई. इसके बाद सिसोदिया ने अपनी नौकरी छोड़ दी और पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन बनाया.