चिलचिलाती गर्मी में जो करे तरोताजा, वो है शर्बतों का राजा रूह-अफ़ज़ा- जानिए किसने बनाया

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द लीडर हिंदी : गर्मियों को मौसम में चिलचिलाती धूप में सूखते गले को राहत देने के लिए हम अक्सर रूह-अफजा पीते हैं. लाल रंग की यह ड्रिंक हमें गर्मी और उमस के मौसम में तरोताजा महसूस कराती है. यही वजह है कि इस मौसम में घर में आने वाले महमानों को दी जाने वाली चाय की जगह भी यह ड्रिंक ले लेती है.

बीते कई सालों से यह लोगों के घर में प्रमुख ड्रिंक के तौर पर जगह बनाए हुए है अपने आप में शर्बतों के शहंशाह रूह-अफ़ज़ा का नाम ही काफी है. 100 साल बाद भी इसका दूसरा विकल्प तैयार नहीं हो पाया. यह और बात है कि कोशिशें बहुत हुईं और चल भी रही हैं. लेकिन हकीम अब्दुल हमीद लालकुंआं की छोटी सी जगह में 100 साल पहले जिस शाहकार को ईजाद कर गए. उसे दूसरा बनाने वाला अब तक कोई पैदा नहीं हुआ.

आख़िर रूह अफ़ज़ा में ऐसा क्या ख़ास मिलाया जाता है. जिसके पीने के जिस्म तरोताज़ा हो जाता है. वैसे रूह अफ़ज़ा अपने नाम का भी आईनादार है. हकीम अब्दुल हमीन साहब ने इसका नाम भी बहुत सोचने-समझने के बाद रखा होगा. रूह अफ़ज़ा यानी रूह को तरोताज़ा करने वाला, जिसे अंग्रेज़ी में सोल रिफ्रेशर कहते हैं. दुनियाभर में इस शर्बत को पीने वाले अनगिनत लोग हैं. लेकिन इसका फॉर्मूला सिर्फ़ हकीम अब्दुल हमीद और उनके बाद उनके वारिसों को ही पता है. द लीडर हिंदी ने इस बेमिसाल शर्बत के बनने से लेकर सीक्रेट फॉर्मूले को लेकर हमदर्द के फाउंडर मेम्बर मुफ़्ती शौक़त से दिल्ली के जामिया हमदर्द में बात की.

माना जाता है. बात 1907 की है. दिल्ली में लोग भीषण गर्मी से परेशान थे और बीमार पड़ रहे थे. तब पुरानी दिल्ली के लाल कुआं बाजार में एक हकीम ने लोगों को ठीक करने के लिए एक दवा इजाद की.यह दवा कुछ और नहीं बल्कि रूह अफजा ही था.

बतादें रमजान के पाक महीने में रूह-अफ़जा की खास डिमांड होती है.दिनभर रोजा रखने वाले मुस्लिम जब शाम को इफ्तार करते हैं तो रूह अफजा के शर्बत से ही गले को तर करते हैं.

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