अतीक खान
”उत्तर भारत के त्रिपुरा राज्य की 8 फीसद मुस्लिम आबादी हिंदुत्वादी भीड़ के निशाने पर है. राज्य में 21 अक्टूबर से हालात भयावह हैं. लेकिन सरकार और विपक्ष खमोश है. पिछले सप्ताह भर में अल्पसंख्यक मुसलमानों के मकान और मस्जिदों पर हमले की 21 घटनाओं की पुष्टि हो चुकी है. इनमें 15 स्थान ऐसे हैं, जहां मस्जिदों में आग्जनी, तोड़फोड़ की गई. भगवा झंडे लगाए गए. कई दुकानें जला दी गई हैं. ग्रामीणों इलाकों में हालात ज्यादा खराब हैं. लोग अपना घर-वार छोड़कर सुरक्षित जगहों पर पनाह लेने को मजबूर हैं.” (Attacks Tripura Muslims Mosque)
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) त्रिपुरा-जमीयत उलमा-ए-हिंद और इस्लामिक स्टूडेंट्स ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इंडिया (SIO) के साथ एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में त्रिपुरा के स्थानीय लोगों वहां के ये हालात बताए हैं.
जमीयत उलमा-ए-हिंद त्रिपुरा के अध्यक्ष नूरूल इस्लाम मजहरभुईया ने कहा कि, राज्य के अल्पसंख्यकों में दहशत का आलम है. उन पर जगह-जगह हमले हो रहे हैं. खासतौर से ऐसे इलाकों में जहां मुस्लिम आबादी बेहद कम हैं-उन्हें चिन्हित करके निशाना बनाया जा रहा है.
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हमारी टीम ने कई जगहों का दौरा किया है. लोग खौफ में हैं. डर के कारण घरों में कैद हैं. कई जगहों पर हमारे लोग नहीं पहुंच पाए, क्योंकि वहां हालात ज्यादा बदतर हैं. सरकार या पुलिस की ओर से कोई सुरक्षा का इंतजाम नहीं है. शहरी क्षेत्रों या कुछ इलाकों में जरूर थोड़ी-बहुत पुलिस है.
अल्पसंख्यकों पर सिलसिलेवार हमलों को लेकर सरकार ही नहीं बल्कि, विपक्षी दल भी खामोश हैं. यहां तक कि लेफ्ट भी नहीं बोल रही. हाल ही में तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव त्रिपुरा पहुंची थीं. लेकिन उन्होंने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के मामले में कुछ भी नहीं बोला. (Attacks Tripura Muslims Mosque)
बल्कि टीएमसी ने ये कहकर मुसलमानों के खिलाफ हवा को और भड़का दिया है कि बांग्लादेश में हिंसा का असर त्रिपुरा पर पड़ रहा है. राजनीतिक दलों की चुप्पी की एक वजह ये भी हो सकती है कि 25 नवंबर को राज्य के 20 शहरों में नगरीय इकाई के चुनाव हैं. इसमें अगरतला भी शामिल हैं, जो हिंसाग्रस्त है.
मुसलमानों पर हमलों के खिलाफ उत्तरी त्रिपुरा में मुस्लिम समुदाय ने किया. तो वहां धारा 144 लगा दी गई. लेकिन हिंदुत्वादी संगठन बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद बांग्लादेश घटनाक्रम के विरोध में लगातार रैलियां निकाल रहे हैं. उन्हें प्रशासन से इजाजत मिल रही है. तब, जब यही रैलियां हिंसा कर रही हैं.
एसआइओ के राष्ट्रीय सचिव फवाज शाहीन ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि हमारी टीम ने अब तक 21 घटनाओं की पुष्टि की है. राज्य में 15 और 19 अक्टूबर को हिंसक घटनाएं हुई थीं. 21 अक्टूबर से लगातार हिंसा भड़क रही है. पाल बाजार, नरोला टोला विशालगढ़ में आग्जनी हुई है. अभी हम 21 घटनाओं की ही पुष्टि कर पाए हैं. इनकी संख्या और अधिक हो सकती है. (Attacks Tripura Muslims Mosque)
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शाहीन के मुताबिक, हिंसा का पैटर्न एक जैसा ही है. बांग्लादेश घटना के विरोध में रैली निकलती है. और बाद में वो हिंसक होकर मस्जिद, मुसलमानों के घरों पर हमलों पर उतारू हो जाती. मुस्लिम इलाकों में पत्थरबाजी की जाती है.
कैलाश शहर में अब्दुल मन्नान और वकील अब्दुल वासित के घरों पर हमला कर भगवा झंडे लगा दिए गए. ये वो लोग हैं जो रसूखदार हैं और राजनीतिक व्यक्तित्व भी.
बाजार में मुस्लिम दुकानों को चिन्हित करके तोड़फोड़ और आगजनी की जा रही है. जिला मुख्यालयों के बजाय ये सब ग्रामीण क्षेत्र और छोटे कस्बों में हो रहा है. लेकिन मीडिया ये दावा करती है कि सरकार ने 151 मस्जिदों को सुरक्षा दी हुई है. सरकार वहां पीआर और मीडिया मैनेजमेंट किए है. नेशनल मीडिया से राज्य में हिंसा की असली तस्वीरें गायब हैं.
शहरी क्षेत्रों में मस्जिदों को सुरक्षा देकर ये दावा किया जा रहा है कि हम स्थिति को कंट्रोल कर रहे हैं. जबकि दूसरी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में हमले किए जा रहे हैं. 15 बड़ी घटनाओं में एक भी आरोपी को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.
सरकार और विपक्ष ने बांग्लादेश के मामले को जरूर मुद्दा बनाया. लेकिन त्रिपुरा के जो हालात हैं. उस पर एक शब्द भी बोलने को तैयार नहीं है. शायद इसलिए क्योंकि इन्हें अपने वोटरों के नाराज होने का डर है.
त्रिपुरा के सुल्तान अहमद ने कहा कि रैलियों में पैंगबर-ए-इस्लाम, कुरान और मुसलमानों के खिलाफ आपत्तिजनक भड़काऊ नारेबाजी की जा रही है. जबकि ये रैलियां पुलिस सुरक्षा में निकल रही हैं. मंगलवार को भी यही हुआ. शाम को मस्जिद पर हमले और दुकानों में आग लगाने की खबरें आ गईं. चूंकि मस्जिद के बाहर मुस्लिम महिलाएं डटकर खड़ी हो गईं, तो भीड़ वहां से निकल गई. (Attacks Tripura Muslims Mosque)
धर्मनगर में कल रात से धारा 144 लागू है. यहां मुस्लिम समुदाय ने हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन किया था. कदमतल्ला में भी प्रदर्शन हुआ. सवाल ये है कि राज्य में हिंसा हो रही है. मुसलमानों की संपत्ति नष्ट की जा रही है. तो पुलिस ऐसे स्थानों पर धारा-144 क्यों नहीं लागू करती? दूसरी तरफ जब मुस्लिम शांतिपूर्वक अपने ऊपर हुए जुल्म का इजहार कर रहे हैं तो वहां धारा-144 लागू कर दी जा रही है. सुल्तान अहमद के मुताबिक उत्तरी त्रिपुरा में हालात ज्यादा खराब हैं.
द लीडर के एक सवाल के जवाब में सुल्तान अहमद ने कहा कि पूरे राज्य में अल्पसंख्यकों के हालात ज्यादा चिंताजनक हैं. इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. कुछ लोगों को चोटें जरूर आई हैं. पूरी तस्वीर तभी साफ हो पाएगी जब राज्य के रिमोट इलाकों में जाने की इजजात मिलेगी.
एपीसीआर के सचिव नदीम खान ने कहा कि, ”त्रिपुरा में जो कुछ हो रहा है. वो तकलीफदेय है. 11 दिन हो चुके हैं. हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही. ग्रामीण क्षेत्र, जो ज्यादा हिंसाग्रस्त हैं-वहां पत्रकारों को भी जाने की इजाजत नहीं है. सरकार पीआर मैनेजमेंट कर रही है. नेशनल मीडिया में अगरतला की मस्जिदों के बाहर की सुरक्षा की तस्वीरें घुमाई जा रही हैं.”
Tripura Police appeals to all not to spread rumours regarding panisagar incident. Please do not retweet or like the social media post without verification since it amounts to endorsing the view.
Law and Order situation is under control in the state.#Tripura pic.twitter.com/WdOip4fyc1— Tripura Police (@Tripura_Police) October 28, 2021
”बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जिस हिंसा को लेकर त्रिपुरा के अल्पसंख्यकों पर हमले किए जा रहे हैं. उसमें ये भी देखने की जरूरत है कि बांग्लादेश की सरकार ने तीन-चार दिन के अंदर स्थिति नियंत्रित की. करीब 450 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जबकि पित्रुरा में 11 दिन से हिंसा जारी है. और सरकार नहीं चाहते है कि इसे रोका जाए.”
सीपीएम का न बोलना राजनीतिक मजबूरी हो सकती है. लेकिन सिविल सोसायटी यानी आम नागरिकों की खामोशी खतरनाक है. ऐसा लगता है कि बहुंसख्यकों के वोटों के लिए सभी ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और नफरत को स्वीकार कर लिया है. हम लोग हालात पर नजर बनाए हैं. ज्लद ही त्रिपुरा का दौरा करेंगे.” (Attacks Tripura Muslims Mosque)
महिलाओं पर हमलों से जुड़े एक सवाल में कहा गया है कि माणी सागर जिले में पुलिस के पास एक शिकायत पहुंची हैं. जिसमें तीन-चार औरतों को निशाना बनाए जाने की बात सामने आई है.
”हमारे मुल्क में वहां के हालात का हवाला देकर हिंसा फैलाने की कोशिश, शर्मनाक है. आज इस बात की जरूरत है कि सोसायटी बांग्लादेश के सज्ञथ त्रिपुरा के खिलाफ भी आवाज उठाए. अमन-इंसाफ कामय करें. वहां मुसलमानों के सज्ञथ जो हो रहा है हम उनके साथ खड़े हैँं. सीएम के सामने अपनी बात रखने की कोशिश करेंगे.”
एपीसीआर के महासचिव मलिक मोहतसिम खान ने कहा कि त्रिपुरा में मुसलमानों और उनकी इबादतगाहों पर दो हफ्तों से हमलों की सूचना है. उनके घरों पर भगवा झंडे लगाए जा रहे हैं. जिसकी हम सख्त निंदा करते हैं. राज्य और केंद्र सरकार, दोनों से अपील है कि राज्य में शांति व्यवस्था बहाल कराएं. हम लोग जल्द ही त्रिपुरा जाकर मुख्यमंत्री से मिलेंगे. केंद्रीय गृहमंत्री से भी मिलने की कोशिश करेंगे.
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों की भी हम निंदा करते हैं. वहां की सरकार से अपील करते हैं कि अल्पसंख्यकों की जान-माल की हिफाजत करे. लेकिन वहां का हवाला देकर हमारे अपने मुल्क में हिंसा और नफरत फैलाने की कोशिश शर्मनाक है. सभ्य समाज को इसके खिलाफ खड़ा होने की जरूरत है. ताकि राज्य में अमन-चैन और इंसाफ कायम रह सके. (Attacks Tripura Muslims Mosque)