बंगाल चुनाव में लैंगचा मिठाई जैसी लंबी है नेताओं की जुबान

श्रीपति त्रिवेदी
कोलकाता। बंगाल में भले ही चुनावी रंग हो लेकिन लोगों की जुबान पर हमेशा मीठी तासीर रहती है। आज आपको एक ऐसी मिठाई के बारे में बताएंगे जो 3 इंच की भी होती है और 3 फीट की भी। नाम है लैंगचा।

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लैंगचा की लोकप्रियता कितनी है इस बात का अंदाजा आपको इसी से चल जाएगा कि वैसे तो यह बंगाली मिठाई है लेकिन आप ओडिशा, झारखंड, असम यहां तक की त्रिपुरा में भी इसकी मिठास पा सकते हैं। पहली नजर में यह आपको एक गुलाब जामुन जैसी मिठाई लगेगी लेकिन यह गुलाब जामुन से आगे की चीज है। लैंगचा बनाने के लिए मैदे और खोए के साथ चीनी की चाशनी का इस्तेमाल किया जाता है। लैंगचा का नाम सुनकर आपके मुंह में पानी जरूर आ रहा होगा लेकिन जब आप इसका इतिहास सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे।

लैंगचा की पैदाइश पर कई कहानियां है लेकिन इसे बंगाल के वर्धमान जिले की मिठाई माना जाता है। इससे पहले वर्धमान की मिहीदाना मिठाई हम आपको चखवा चुके हैं।अब बारी लैंगचा की है। आपको जानकर अच्छा लगेगा कि लैंगचा को शक्तिगढ़ के हलवाई लैंगचा दत्ता ने सबसे पहले बनाया था। उन्हीं के नाम पर इस मिठाई का नाम पड़ा। जाने-माने उपन्यासकार नारायण सान्याल ने अपने उपन्यास रूपामंजरी में इस बात का जिक्र किया है।

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दूसरी तरफ एक बंगाली पत्रकार गौतम धोनी ने जो दावा किया वह थोड़ा अलग है, उनका मानना है की लैंगचा बंगाल के नादिया जिले के कृष्णानगर से वर्धमान के शक्तिगढ़ पहुंची। हम इस विवाद में नहीं पड़ना चाहते। लैंगचा कहां से आई। आप तो सिर्फ इस मिठाई के स्वाद पर ध्यान दीजिए। लैंगचा बनाने के लिए खोए में मैदा मिलाकर उसे केले जैसा आकार दिया जाता है। फिर घी में तलकर चाशनी में डुबो दिया जाता है।

आज वर्धमान और उसके आसपास आपको हर साइज के लैंगचा मिलेंगे किसी किसी दुकान पर तो ढाई से 3 फीट तक के लैंगचा तैयार होते हैं। देखने पर ये आपको एक अलग ही अनुभूति देंगे। बंगाल के चुनावी रैले में अगर आप वहां जा रहे हैं तो वर्धमान की ये मिठाई निसंदेह आपकी जुबान पर एक बेहतरीन मीठी यादगार छोड़ेगी।

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