ईद से पहले ऐसे जीती गई मदरसों की लड़ाई…दरगाह आला हज़रत के मुफ़्ती ने सुनाई

द लीडर हिंदी : यूपी के मदरसों में ईद से पहले ही ख़ुशियों का इंतज़ाम हो गया. रमज़ान की छुट्टियों में मदरसे बंदे थे. तब 22 अप्रैल को हाईकोर्ट का फ़ैसला आ गया. हाईकोर्ट से उस एक्ट को ही असंवैधानिक मानकर निरस्त कर दिया, जिसके तहत सहायता प्राप्त मदरसे संचालित हो रहे थे. ऐसे में मदरसों के वजूद पर सवाल खड़ा हो गया था. रमज़ान में छुट्टियां ख़त्म होने पर ईद बाद मदरसे खुल पाएंगे, कहना बहुत मुश्किल था. सवाल 17 लाख छात्रों और 10 हज़ार से ज़्यादा शिक्षकों-स्टाफ के मुस्तक़बिल का भी था. इस फ़ैसले की हद में बगेली के दरगाह आला हज़रत के मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम समेत पांच मदरसे आ रहे थे.

मंज़र-ए-इस्लाम की नींव तो ख़ुद फ़ाज़िल-ए-बरेलवी इमाम अहमद रज़ा ख़ान ने रखी थी. आला हज़रत ख़ानदान के ही मौलाना मन्नान रज़ा ख़ान मन्नानी मियां का बाक़रगंज में मदरसा जामिया नूरिया रज़विया, मुहल्ला सराय ख़ाम का इशातुल उलूम, क़ाज़ी टोला का मदरसा अशफ़ाक़िया और सेंथल का मदरसा जामिया मेंहदिया सरकार से सहायता प्राप्त है. मदरसा इशातुल उलूम में तो मिनी आइटीआइ भी संचालित है. जब हाईकोर्ट का फ़ैसला आया तो मदरसों के बंद होने को लेकर बरेली से भी ज़ोरदार तरीक़े से आवाज़ उठी थी.

वही 5 अप्रैल जुमातुल विदा पर नमाज़ के दौरान मदरसों के हक में सुप्रीम फ़ैसला आ गया.जिसको लेर दरगाह आला हज़रत के मुफ़्ती एवं मंज़र-ए-इस्लाम के शिक्षक मुफ़्ती मुहम्मद सलीम नूरी बरेलवी ने बताया कि मदरसों की लड़ाई को किस तरह लड़ा गया. उन्होंने कहा क़ानूनी लड़ाई के साथ मदरसों के लिए दुआ हो रही थी.वही मदरसों के हक की लड़ाई लड़ने के लिये मदरसों की एसोसिएशन से चंदा करके सुप्रीम कोर्ट में गई.फ़ैसले के साथ ही उन्होंने बताया कि उन्हें देेश के कानून पर पूरा भरोसा था.इस दौरान बताया कि पूरे देश में सुप्रीम कोर्ट की ख़ूब तारीफ़ हो रही है.इसके साथ ही उन्होंने लोगों से अपील की वो धरना, प्रदर्शन और विरोध से पूरी तरह गुरेज़ करें.

Abhinav Rastogi

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