The Leader. लखनऊ के दारुल उलूम नदवा में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड(AIMPLB ) वर्किंग कमेटी की मीटिंग मौलाना राबे हसन नदवी की सदारत में हुई. इसमें हिस्सा लेते बड़े चेहरे दिखाई दिए. जमीयत उलमा-ए-हिंद के सदर मौलाना अरशद मदनी, मौलाना महमूद मदनी, आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लेमीन के चीफ असदुद्दीन ओवैसी, लखनऊ ईदगाह के इमाम मौलाना ख़ालिद रशीद फिरंगीमहली वग़ैरा 51 सदस्यों ने हिस्सा लिया.
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मीटिंग के लिए मुद्दे बहुत थे और उन पर चर्चा भी हुआ लेकिन जो जानकारी सामने आई है, उससे साफ़ नहीं हो पाया कि कोई ठोस क़दम की बात तय हो सकी है. जिस तरह का माहौल है, उसमें बोर्ड टकराव या विवाद में फंसने से बचना चाहता है. ख़ास बात यह कि तीन तलाक़ और बाबरी मस्जिद जैसे मामलों से बोर्ड को झटका लगा है, अब उसके ज़िम्मेदार एलानिया कुछ भी कहने से बचते दिख रहे हैं. या फिर यह भी कह सकते हैं कि मौजूदा हुकूमत के रहते उन्हें मुसलमानों से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर अपनी बात मनवाने के लिए स्पेस भी नहीं मिल रहा है. तीन तलाक़ पर क़ानून बनने के बाद अब कॉमन सिविल कोड लागू होने की बात भी गाहे-बगाहे उठती रहती है. बोर्ड की मीटिंग में इस पर चर्चा भी हुआ है. जब इस बारे में बदायूं के मौलाना यासीन उसमानी से बात की तो उनका कहना था कि इस मुद्दे पर हुकूमत से बात करके अपनी बात रखने का मशवरा हुआ है.
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मतलब साफ़ है कि बोर्ड इस मुद्दे पर आंदोलनात्मक क़दम से बच रहा है. असम में मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा जिस तरह से नाबालिग़ से शादी कर चुके लोगों पर भी पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई का एलान कर चुके हैं और वहां गिरफ़्तारियां हो रही हैं, उसे लेकर भी बोर्ड ने कोर्ट का रास्ता चुना है. इसके अलावा मीटिंग में काशी और मथुरा का मुद्दा भी उठा लेकिन कोई बड़ा एलान बोर्ड की तरफ से सामने नहीं आया है. तब नहीं आया जब बोर्ड की मीटिंग से बाहर मौलाना महमूद मदनी, असदुद्दीन ओवैसी, मौलाना बदरुद्दीन अजमल केंद्र और सूबाई सरकारों पर ज़ुबानी फ़ायरिंग करते रहे हैं. बहरहाल मतलब साफ़ है कि इन बड़े मुस्लिम चेहरों के पास मुसलमानों के ज़हन में उठने वाले सवालों का जवाब या हल नहीं है. हां, हालात मुश्किल हैं, यह बात ये सभी कहते रहे हैं लेकिन हालात आसान कैसे होंगे, सही-सही बताने के लिए ज़ुबानों पर ताला है.
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