द लीडर। देशभर के कई राज्यों में अभी भी भारी बारिश हो रही है. कहीं-कहीं तो भारी बारिश से हाल बेहाल है. पहाड़ों पर भारी बारिश मानो आफत बनकर बरस रही है. लेकिन बता दें कि, दिल्ली-एनसीआर में बीते दिनों जमकर बरसे मॉनसून के बादलों का पर्यावरणीय लिहाज से राष्ट्रीय राजधानी की आबोहवा पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है. दिल्ली की प्रदूषित रहने वाली हवा रिकॉर्ड बारिश के कारण साफ हो गई है. वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान, अनुसंधान प्रणाली के अनुसार, फिलहाल राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक हालात में बनी हुई है. यहां तक की सितंबर में हुई रिकॉर्ड बारिश के कारण दिल्ली में हवा की गुणवत्ता 4 साल में सबसे बेहतर दर्ज की गई है. वहीं, देश में फिलहाल हवा की गुणवत्ता पुणे, मुंबई और अहमदाबाद में सबसे अच्छी बनी हुई है.
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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, दिल्ली यूनिवर्सिटी, पूसा, IGI एयरपोर्ट, आईआईटी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है, लेकिन लोधी रोड, मथुरा रोड के अलावा नोएडा में एयर क्वालिटी सुधार की स्थिति में है. दिल्ली में पीएम-10 का स्तर 96, जबकि पीएम-2.5 का लेवल 40 बना हुआ है. बता दें कि, पीएम 10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए, जबकि पीएम 2.5 का नॉर्मल लेवल 60 एमजीसीएम होता है. इससे ज्यादा होने पर यह नुकसानदायक हो जाता है. इस तरह दिल्ली में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक स्थिति में है.
इन राज्यों में भी हवा की क्वालिटी अच्छी बनी
वहीं, अगर देखा जाए तो पुणे में एयर क्वालिटी अच्छी स्थिति में है, जबकि मुंबई और अहमदाबाद में भी हवा की क्वालिटी अच्छी बनी हुई है. पुणे में पीएम-10 का स्तर 35, जबकि पीएम-2.5 का लेवल 23 बना हुआ है. वहीं, मुंबई में पीएम-10 का लेवल 33, जबकि पीएम-2.5 का लेवल 17 बना हुआ है. अहमदाबाद में PM-10 का स्तर 49, जबकि PM-2.5 का लेवल 26 बना हुआ है.
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सितंबर महीने में हुई रिकॉर्ड बारिश
दरअसल, दिल्ली में मानसून की बारिश ने इस साल कई रिकॉर्ड धराशायी कर दिए हैं. सितंबर महीने में हुई बारिश की वजह से ऐसा हुआ है. इस मॉनसून सीजन में 1,169.7 मिलीमीटर बारिश हुई है. यह आंकड़ा सामान्य स्तर से 80 फीसदी ज्यादा है. इस तरह बारिश ने साल 1964 के रिकॉर्ड को तोड़ा है. भारी बारिश के कारण ही वायु गुणवत्ता में यह फर्क देखने को मिला है, क्योंकि प्रदूषण फैलाने के कारण हवा में मौजूदा कण बारिश के कारण नीचे बैठ गए, जिससे एयर क्वालिटी इंडेक्स अच्छी स्थिति में है.
उत्तर पश्चिमी हिस्सों से 6 अक्टूबर को मानसून की वापसी
बता दें कि, भारत के उत्तर पश्चिमी हिस्सों से 6 अक्टूबर को मानसून की वापसी हो सकती है. भारतीय मौसम विभाग ने गुरुवार को यह जानकारी दी है. हालांकि देश में आमतौर पर मानसून की वापसी 17 सितंबर तक हो जाती है. पिछले साल उत्तर पश्चिमी भारत के पश्चिमी हिस्सों से 28 सितंबर को मानसून की वापसी हुई थी. देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक और भारी बारिश जारी है. कुल मिलाकर लंबी अवधि के औसत के हिसाब से बुधवार तक मानसून की बारिश 99% थी, जिसके कारण यह एक सामान्य मानसून वर्ष बन गया. भारत के चरम उत्तर-पश्चिमी भागों में नमी में भारी कमी और वर्षा की अनुपस्थिति की बहुत संभावना है. इस प्रकार, लगभग 6 अक्टूबर से उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों से दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी की शुरुआत के लिए स्थितियां बहुत अनुकूल होने की संभावना है.
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मौसम विभाग ने कहा कि, उत्तर पूर्व अरब सागर और उससे सटे कच्छ पर दबाव अलग-अलग द्वारका (गुजरात) से लगभग 60 किमी पश्चिम-उत्तर-पश्चिम में लगभग पश्चिम की ओर बढ़ गया. इसके पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने और अगले 12 घंटों के दौरान उत्तर गुजरात तट से उत्तर-पूर्व अरब सागर के ऊपर एक गहरे दबाव में बदलने की संभावना है. फिर, इसके आगे पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने और अगले 24 घंटों के दौरान चक्रवाती तूफान शाहीन के तेज होने की संभावना है. इसके बाद, इसके पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर पाकिस्तान के करीब, भारतीय तट से दूर जाने की संभावना है.