द लीडर हिंदी : समाजवादी पार्टी में बतौर अध्यक्ष नेताजी मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव का फ़र्क़ रामपुर की सियासत में दिखाई दे गया. जब आज़म ख़ान नाराज़ होते थे, नेताजी मना लिया करते थे लेकिन अखिलेश यादव ने ऐसा नहीं किया. शिवपाल सिंह यादव सीतापुर जेल नहीं पहुंचे और रामपुर में आज़म ख़ान के कंडीडेट आसिम राजा शमसी का पर्चा ख़ारिज हो गया. रामपुर जिसे नेताजी के समाजवादी पार्टी का सुप्रीमो रहते अंडमान निकोबार द्वीप कहा जाता था. इसलिए कि वहां आज़म ख़ान जो कर रहे हैं, उन्हें करने दो, अक्सर कही और सुनी जाती थी लेकिन गुज़रे दो दिनों में साबित हो गया कि अब ऐसा नहीं है. जब कभी आज़म ख़ान नाराज़ होते थे, नेताजी मना लिया करते थे.
आज़म ख़ान को मनाने की यह रवायत समाजवादी पार्टी में फिलहाल अलविदा हो गई. राजनीति में कुछ भी मुमकिन है. दरअसल आज़म ख़ान चाहते थे कि रामपुर से लोकसभा का चुनाव अखिलेश यादव लड़ें. सीतापुर जेल में मुलाक़ात के दौरान जब आज़म ख़ान से रामपुर के कंडीडेट को लेकर पूछा तो उन्होंने अखिलेश यादव से यह कहा भी था. अखिलेश यादव ने न कर दी.
अपने तौर पर ही रामपुर से कंडीडेट भी फाइनल कर दिया. दिल्ली में पार्लियामेंट की जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी के नाम पर मुहर लगा दी. वो रामपुर में ही स्वार के रज़ा नगर के रहने वाले हैं. जैसे ही इसकी भनका आज़म ख़ान को लगी. जेल से उनका फ़रमान एक ख़त के ज़रिये जारी हो गया, जिसे समाजवादी पार्टी के रामपुर ज़िलाध्यक्ष अजय सागर और शहर अध्यक्ष आसिम राजा शमसी ने मीडिया के बीच सार्वजनिक किया. साफ कर दिया कि अखिलेश यादव नहीं लड़े तो फिर रामपुर की सपा चुनाव के बहिष्कार का एलान कर रही है. इसके बाद रामपुर में कई नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिले. एक तो यह कि पर्चा दाख़िल करने के लिए मौलाना मोहिबुल्लाह मदनी रामपुर पहुंच गए. उनके लिए सिंबल हैलीकाप्टर से सपा प्रदेशाध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल लेकर पहुंचे.
तब पीछे से आसिम राजा भी पर्चा दाख़िल करने कलेक्ट्रेट पहुंचे गए. जब उनसे सवाल हुआ कि बहिष्कार के एलान का क्या हुआ तो जवाब मिला, तब और अब के हालात दूसरे हैं. यह बात उन्हीं की ज़ुबानी सुनिए. यह भी जान लीजिए की आज़म ख़ान के सवाल पर पार्लियामेंट की मस्जिद के इमाम ने क्या जवाब दिया था.गुरुवार को रामपुर की पिक्चर एकदम क्लियर हो गई. आसिम राजा के साथ हाफ़िज अब्दुस्सलाम और चंद्रपाल सिंह एडोवोकेट का पर्चा भी ख़ारिज हो गया. इसलिए कि दोनों ने पर्चा बतौर समाजवादी पार्टी कंडीडेट दाख़िल किया था.
चूंकि सपा का सिंबल मौलाना मोहिबुल्लाह मदनी के पास है, इसलिए हाफ़िज़ अब्दुस्सलाम और चंद्रपाल सिंह का पर्चा निपट गया. रामपुर में अब अखिलेश यादव के कंडीडेट चुनाव लड़ेंगे. अखिलेश यादव की तरफ से आज़म ख़ान को नहीं मनाया गया. कहा जा रहा था कि शिवपाल सिंह यादव सीतापुर जेल जाकर आज़म ख़ान से आज बात करेंगे. ऐसा हुआ नहीं. आज़म ख़ान की तरफ से अब क्या क़दम उठाया जाएगा, कह नहीं सकते लेकिन समाजवादी पार्टी में सियासी अदावत की तहरीर लिखी जा चुकी है और इसका अंजाम चुनावी नतीजे के तौर पर सामने आएगा. उससे पहले समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव केे सामने अपने कंडीडेट को रामपुर से लोकसभा पहुंचाने की चुनौती बेहद कठिन है. क्या होगा उसके लिए इतज़ार कीजिए
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