द लीडर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा के नव-निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के साथ पश्चिमी यूपी के दौरे पर हैं. शनिवार को वह मुरादाबाद पहुंचे. जहां सांसद एसटी हसन की अगुवाई में समाजवादी पार्टी के पांच विधायकों का एक प्रतिनिधि मंडल सीएम से मिलने सर्किट हाउस पहुंचा है. सपा सांसद और विधायकों की ये मुलाकात, रामपुर के विधायक आज़म ख़ान को लेकर है, जिसमें मुख्यमंत्री से निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की जाएगी. (CM Yogi Azam Khan)
दरअसल, आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ पिछले महीने अगस्त में दो और केस दर्ज़ हुए हैं. इस आरोप में कि उन्होंने अपने ख़िलाफ़ पहले से रजिस्टर्ड मामलों के दो गवाहों को धमकाया है. ये दोनों एफ़आईआर एक ही दिन अलग-अलग थानों में दर्ज़ की गईं. आज़म ख़ान के परिवार ने इन दोनों मामलों को फ़र्जी बताया है. आज़म ख़ान के विधायक बेटे अब्दुल्ला आज़म रामपुर एसपी से भी मिल चुके हैं और सपा नेताओं का एक प्रतिनिधि मंडल लखनऊ में डीजीपी से मिला था. सपा ने डीजीपी से निष्पक्ष जांच की मांग की थी.
हालांकि अब तक इन दोनों मामलों में आज़म ख़ान को कोई राहत नहीं मिली है. इसीलिए स्थानीय सपा नेताओं ने मुख्यमंत्री से मिलने का इरादा किया है. मुरादाबाद के सांसद एसटी हसन के अलावा, विधायक नवाब जान, संभल से सांसद शफ़ीकुर्रहमान बर्क़ के पोते और कुंदरकी विधायक जियाउर्रहमान, पूर्व मंत्री और कांठ से विधायक कमाल अख़्तर, मुरादाबाद देहात से हाजी नासिर कुरैशी और बिलारी के विधायक मोहम्मद फहीम शामिल हैं. (CM Yogi Azam Khan)
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आज़म ख़ान सपा के संस्थापक सदस्यों में से हैं. रामपुर से लगातार 10 बार विधायक, कई बार मंत्री और सांसद रहे हैं. उनके ख़िलाफ़ अब तक कोई 89 मामले दर्ज हो चुके हैं. 27 महीनें जेल में बिताने के बाद वह ज़मानत पर बाहर हैं, जहां उन पर दो और केस हो गए. जेल से बाहर आने के बाद भी दो-तीन बार उनकी तबीयत ज़्यादा ख़राब हो चुकी है. इसीलिए सपा नेता मुख्यमंत्री से उनके मामले में निष्पक्ष जांच-कार्रवाई की मांग करने गए हैं.
मुरादाबाद के सर्किट हाउस में मुख्यमंत्री योगी आदित्यपाथ ने प्रशासनिक अधिकारियों से मीटिंग की, जिसमें कामकाज और जनकल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा की. (CM Yogi Azam Khan)
भूपेंद्र चौधरी, जो योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं-मुरादाबाद के ही रहने वाले हैं. भाजपा ने उन्हें यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी है. पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुटी है. पश्चिमी यूपी, जहां किसान आंदोलन का बड़ा प्रभाव देखने को मिला था, वहां से प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने पश्चिमी यूपी को साधने की कोशिश की है. हालांकि हालिया विधानसभा चुनाव के परिणाम बताते हैं कि पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन का भाजपा पर उतना ज़्यादा असर नहीं पड़ा था, जितना माना जा रहा था.