बांग्लादेश सरकार का रोहिंग्या मुसलमानों को चक्रवातों तूफानों की चपेट में आने वाले दूरदराज के द्वीप पर बसाने का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में शरणार्थियों की तमाम फरियाद और शिकायतों के बावजूद शुक्रवार को बांग्लादेश के अधिकारियों ने 1750 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों को बंगाल की खाड़ी में विवादास्पद द्वीप पर भेज दिया।
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बांग्लादेश नौसेना के एक जहाज पर शुक्रवार को चटगांव बंदरगाह की ऊपरी डेक पर शरणार्थियों को सवार कराके रवाना किया गया।
अधिकारियों ने कहा कि 3000 से अधिक रोहिंग्या को शुक्रवार और शनिवार को म्यांमार और बांग्लादेश की सीमा पर भीड़भाड़ वाले शिविरों से भासन चार द्वीप तक ले जाया जाएगा।
दर-बदर रोहिंग्या के नए जत्थे के पहुंचने के बाद तकरीबन 7000 रोहिंग्या 13000 एकड़ (53 वर्ग किलोमीटर) द्वीप पर होंगे। बांग्लादेश सरकार का कहना है कि शिविरों से लगभग 1 लाख लोगों को भासन चार पर बसाया जा सकता है।
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बांग्लादेश ने 7 लाख से ज्यादा रोहिंग्याओं को पनाह दी, जो 2017 में म्यांमार की सैन्य कार्रवाई के बाद सीमा पार करके भागकर आए थे।
मानवाधिकार समूहों का कहना है कि रोहिंग्या समुदाय के तमाम लोगों को उनकी इच्छा के खिलाफ स्थानांतरित कर दिया गया। चक्रवात के मौसम में आमतौर पर बाढ़ से घिरने के चलते द्वीप की सुरक्षा पर भी चिंता जताई।
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अप्रैल में चक्रवाती मौसम शुरू होने से पहले अधिकारी रोहिंग्या मुसलमानों को इन द्वीपों पर स्थानांतरित करना चाहते हैं। भासन चार गाद वाला और कम ऊंचाई वाला द्वीप है। इस इलाके में पिछले 50 वर्षों में लगभग 7 लाख लोग तूफान में मारे गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि पुनर्वास स्वैच्छिक होना चाहिए और वह इस ऑपरेशन में शामिल नहीं है।