रेख़्ता ने परिचय में लिखा-”औरतों के साथ शामें रंगीन करते थे अल्लामा इक़बाल”-अदबी क्षेत्र में मचा हंगामा

0
1179
Allama Iqbal Introduction Rekhta
अल्लामा इक़बाल.

आक़िब जावेद


10 दिसंबर की रात को रेख़्ता के हवाले से अल्लामा इक़बाल के ता’र्रुफ़ (परिचय) का एक स्क्रीनशॉट हमारे पास पहुंचा. जिसमें बहुत भद्दी और ग़ैर-मेयारी ज़बान का इस्तेमाल किया गया था. रेख़्ता ने अल्लामा इक़बाल के ता’र्रुफ़ में जो लिखा-पहले वो पढ़ लीजिये. (Allama Iqbal Introduction Rekhta)

“लन्दन में अपने मज़ाविमा औराद-ए-सहर-गाही के साथ मोह मुख़्तलिफ़ औरतों के साथ शामें भी रंगीन करते रहे. उन्हीं में एक अतिया फ़ैज़ी भी थीं.”

अब सवाल ये है कि रेख़्ता में बैठे लोग क्या ये नहीं जानते कि किसी महान इंसान का परिचय कैसे दिया जाता है. जबकि रेख़्ता ख़ुद पिछले 9 सालों से उर्दू ज़बान को प्रमोट करने का काम कर रही है.

इक़बाल की शान को इतनी घटिया तरीके़ से पेश करने पर हंगामा मचा तो रेख़्ता ने कुछ देर बाद परिचय में बदलाव कर लिया. लेकिन उसके बाद से सोशल मीडिया पर लोगो का ग़ुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है. (Allama Iqbal Introduction Rekhta)


इसे भी पढ़ें-त्रिपुरा हिंसा के ख़िलाफ सोशल मीडिया पोस्ट पर पुलिस कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक


 

आक्रोश की वजह और इल्ज़ाम ये है कि रेख़्ता बुज़ुर्गों की इज़्ज़त के साथ ख़िलबाड़ कर रहा है. अदब से जुड़ी शख्सियतें चाहती हैं कि रेख़्ता इसकी वज़ाहत करे और माफ़ी मांगे. रेख़्ता माफ़ी मांगे इसको लेकर ट्वीटर पर हैशटैग #rekhta_shame_on_you #Rekhta_Muafi_mange ट्रेंड हो रहा है. हालांकि अभी तक रेख़्ता की तरफ़ से कोई बयान भी नहीं आया है.

इसको लेकर साहित्यिक शख्सियतों की तीखी प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं. बरेली से ‘अज़हान ज़ुबैरी’ लिखते हैं कि रेख़्ता इस पर माफ़ी मांगे और मुस्तक़बिल में ऐसा कुछ न हो, इसकी ज़िम्मेदारी ले. वरना ये लड़ाई बहुत आगे जाएगी.

देवबन्द से ‘काशिफ़ शमीम’ ने भी अपनी प्रतिकिया दी है-उन्होंने कहा कि, इस तरह की ज़बान का इस्तेमाल अफ़सोसनाक बात है. खासतौर से रेख़्ता जैसे अदबी मंच के लिए. उन्हें इस पर माफी मांगनी चाहिए. बलरामपुर से ‘अम्न इक़बाल’ ने भी ट्वीटर पर रेख़्ता से माफ़ी मांगने की मांग की है. बरेली से ‘यूनुस चिश्ती’ ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा “ये बहुत शर्म की बात है. ऐसी भाषा रेख़्ता को शोभा नहीं देती”.

झारखंड के शायर ‘इसाम रज़ा’ ने कहा कि ऐसी गुस्ताख़ी क़त्तई बर्दाश्त नहीं की जाएगी. लिहाज़ा रेख़्ता को चाहिए फ़ौरन मुआफ़ी मांगे. अदबी क्षेत्र से जुड़े लोग लगातार रेख़्ता के समक्ष शिकायतें दर्ज करा रहे हैं. लेकिन वहां से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. (Allama Iqbal Introduction Rekhta)

(लेखक आक़िब जावेद शायर हैं. वह मूलरूप से उत्तराखंड के खटीमा के निवासी हैं.)

(आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here