पीएम ने भारत के सबसे लंबे केबल ब्रिज ‘सुदर्शन सेतु’ का किया उद्घाटन, जानिए इस पुल की खासियतें

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द लीडर हिंदी : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज 25 फरवरी को गुजरात को बड़ी सौगात दी.पीेएम ने द्वारका में भारत के सबसे लंबे केबल ब्रिज ‘सुदर्शन सेतु’ का उद्घाटन किया.यह केबल ब्रिज ओखा को समुद्र के बीच बसे बेट द्वारका से जोड़ता है. बता दे पीएम मोदी अपने गृह राज्य गुजरात के दौरे पर पहुंचे हैं. जहां उन्होंने सुबह बेट द्वारका मंदिर पहुंचकर दर्शन-पूजन किया.इसके बाद उन्होंने नवनिर्मित सुदर्शन सेतु का उद्घाटन किया.

देश में ‘सुदर्शन सेतु’ के रूप में इंफ्रास्ट्रक्चर का एक और नायाब नमूना तैयार हुआ है. यह सुदर्शन सेतु है.ये देश का सबसे लंबा केबल ब्रिज है. इस ब्रिज को आज देश के प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को समर्पित किया. बता दें गुजरात के द्वारका में बने इस ब्रिज की कुछ बड़ी खासियतें हैं. बात करे सुदर्शन सेतु की तो ये देश का सबसे लंबा केबल पुल है. इसकी लंबाई 2.32 किलोमीटर है.

इस पुल का शिलान्यास भी 2017 में पीएम मोदी ने ही किया था. इस पुल के निर्माण को साल 2016 में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मंजूरी मिली थी. प्रधानमंत्री मोदी ने सात अक्तूबर, 2017 को ओखा और बेट द्वारका को जोड़ने वाले पुल की आधारशिला रखी थी. पहले इसकी अनुमानित लागत 962 करोड़ रुपये थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ा दिया गया.

दो दिन के गुजरात दौरे पीएम ने रविवार 25 फरवरी को सबसे पहले बेट द्वारका में भगवान द्वारकाधीश की पूजा की. इसके बाद पीएम ने ओखा को बेट द्वारका को जोड़ने वाले सुदर्शन सेतु का लोकार्पण किया. अब ओखा (द्वारका) से बेट द्वारका जाने के लिए लोगों को बोट पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. ब्रिज को बनाने में 978 करोड़ की लागत आई है. चार लेन वाले 27.20 मीटर चौड़े पुल के दोनों तरफ 2.50 मीटर चौड़े पैदलपथ हैं.

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इस पुल को पहले ‘सिग्नेचर ब्रिज’ के नाम से जाना जाता था और अब उसका नाम बदलकर ‘सुदर्शन सेतु’ कर दिया गया है. बेयट द्वारका ओखा बंदरगाह के पास एक द्वीप है, जो द्वारका शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर है जहां भगवान श्रीकृष्ण का प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर है.

बता दें गुजरात के लिये आज का दिन काफी अहम माना जा रहा है.पीएम आज गुजरात में अलग-अलग कार्यक्रमों में शामिल होंगे और 52,250 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे. आज प्रधानमंत्री राजकोट, बठिंडा, रायबरेली, कल्याणी और मंगलागिरी एम्स को राष्ट्र को समर्पित करेंगे .