मिस्र में तूफान के बाद ‘फिरौन की बिच्छू फौज’ का हमला

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‘किंग ऑफ स्कॉर्पियन’ यानी ‘बिच्छू राजा’ या ‘फिरौन’ के ऐतिहासिक इलाके, मिस्र में असवान इलाके में बिच्छुओं के हमले में अब तक 500 से ज्यादा लोगों काे जहरीले डंक का सामना करना पड़ चुका है। तूफान में बारिश का पानी तो सभी देखते हैं, लेकिन मिस्र में महज एक घंटे के तूफान में बिच्छुओं की बारिश हो गई। अरबी नस्ल के इन बिच्छुओं ने नील नदी के किनारे बसे असवान शहर में हमला बोलकर हाहाकार मचा दिया। पानी के साथ यह बिच्छू सड़क, घरों के अंदर, जहां-तहां लोगों को डंक मारने लगे, जिसकी वजह से शहर में दहशत फैली हुई है और लोगों को हल्की सी सरसराहट में भी बिच्छू होने का आभास हो रहा है। अब तक मिस्र में 500 से ज्यादा लोगों के अस्पताल में पहुंचकर बिच्छू काटने के बाद दिया जाने वाला एंटी वेनम इंजेक्शन दिया जा चुका है। (Pharaoh Army Attacked Egypt)

मिस्र के मीडिया में तूफान और बिच्छुओं के हमले की खबर छाई हुई है। बताया जा रहा है कि भयानक तूफान ने 100 से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा दिया, जबकि तीन लोगों की करंट की चपेट में आने से मौत हो गई।

तूफान के बाद मिस्र में बिच्छुओं की बाढ़ से सनसनी फैली हुई है। सिर्फ बिच्छू के डंक मारने से रोते-बिलखते लोगों की भीड़ अस्पतालों में लग गई है। यह इस कदर आपातकालीन स्थिति हैं कि डॉक्टरों की छुट्टियां रद कर दी गई हैं।

हालांकि, बिच्छू के हमले में कोई हताहत नहीं हुआ। जबकि बिच्छू के जहरीलेपन को लेकर यह भी चर्चा है कि यह इतने जहरीले हैं कि एक घंटे में एंटी वेनम न दिया जाए तो व्यक्ति की मौत तक हो सकती है। इतना जहर कोबरा जैसे सांपों में ही पाया जाता है। (Pharaoh Army Attacked Egypt)

मिस्र के असवान में गर्मियों के दौरान बिच्छू ज्यादा होते हैं। हर साल दर्जनों लोगों को काट लेने की खबर सरकारी डाटा में दर्ज होती है। लेकिन तूफान के बाद अचानक इतने बिच्छुओं के होने से घबराहट फैली हुई है।

मिस्र के प्राचीन बिच्छू राजा का है इलाका

कुछ अरसे पहले पुरातत्वविदों की एक टीम ने मिस्र के असवान इलाके में बिच्छुओं से जुड़ी एक खास खोज की थी। चट्टान पर बनी चित्रलिपि का शिलालेख है, जिससे “राजा होरस स्कॉर्पियन” के प्रभाव का अंदाजा मिलता है, जिसके बाद इतिहास का नया कालखंड स्पष्ट होता है। (Pharaoh Army Attacked Egypt)

मिस्र के पुरावशेष मंत्रालय और बॉन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक समूह ने पाया कि इतिहास में पहला शिलालेख माना जा सकता है जो एक क्षेत्रीय डोमेन की पहचान करता है।

शिलालेख पर चित्रलिपि में बिच्छू राजा का नाम है और उस स्थान का नाम है, जो नगरपालिका की सीमाओं को इंगित करने के संकेत जैसा है। (Pharaoh Army Attacked Egypt)

एक तरह से एक एकल संप्रभु व्यक्ति के सीधे नियंत्रण में एक भौगोलिक और आर्थिक इकाई का तथ्य है। डॉ. लुडविग डी. मोरेन्ज़ ने इसको “दुनिया में सबसे पुराने ज्ञात स्थान है” होने की पुष्टि की, क्योंकि बिच्छू राजा का शासन लगभग 3070 ईसा पूर्व है।

इससे पहले “डोमेन नाम” शिला पट्टिकाओं और मुहर की शक्ल में शिलालेखों पर मिल चुके हैं। ताजा खोज की अहमियत यह है कि इसने शासन के इलाके की पहचान करा दी।

बिच्छू राजा का रहस्य

बिच्छू राजा मिस्र के राजवंश काल से पहले का शासक था, जिसे कुछ थ्योरी के अनुसार नर्मर का पिता माना जाता है, जो इतिहास में पहला फिरौन है, और कुछ का कहना है कि यह खुद नर्मर का ही दूसरा नाम है।

उस समय तक मिस्र के शासकों ने सीमित क्षेत्रों को नियंत्रित किया था, जो बिच्छू राजा के पास था, जिसमें एक केंद्रीकृत शक्ति थी, जिसकी हुकूमत एक देश कहलाने जैसे क्षेत्र पर चलती थी। हालांकि, यह नील घाटी या ऊपरी मिस्र तक ही सीमित था। (Pharaoh Army Attacked Egypt)

इजिप्टोलॉजिस्ट बताते हैं कि यह क्षेत्र अभी भी पुरातात्विक अन्वेषण के प्रारंभिक चरण में है और टीम को फैरोनिक शक्ति की ज्यादा सटीक समझ हासिल करने के लिए जांच में ताजा खोज से मदद मिलने की काफी उम्मीद है।

बिच्छुओं के बारे में सामान्य ज्ञान

अंटाकर्टिका को छोड़कर लगभग पूरी दुनिया में पाए जाने वाले बिच्छू पृथ्वी के प्राचीनतम प्राणियों में से एक हैं, जिनकी 2000 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। एक अनुमान के अनुसार बिच्छू पृथ्वी पर लगभग 40 करोड़ साल से पहले से रहते आ रहे हैं, यानी जब पृथ्वी पर डायनासोर थे तब भी बिच्छू का वास था।

यह आठ पैर वाला मांसाहारी आर्थोपोडा जीव है, जो दक्षिणी गोलार्ध के रेतीले और जंगली इलाकों में ज्यादा हैं। यह रात्रिचर शिकारी उष्ण प्रदेशों में पत्थर या ऐसी ही चीजों के नीचे दुबके रहते हैं और रात में बाहर निकलते हैं।

यह उन जगहों पर रहना पसंद करते हैं, जहां का तापमान 20 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहता है। प्रजातियों के हिसाब से उम्र 6 साल से 25 साल आंकी गई है। बिच्छू की 90 प्रतिशत प्रजातियां इंसान के लिए हानिकारक नहीं हैं, लेकिन बिछू के डंक लगने पर डॉक्टरी इलाज जरूरी होता है। (Pharaoh Army Attacked Egypt)

इंडियन रेड स्कॉर्पियन दुनिया का सबसे खतरनाक और घातक बिच्छू है, इसका एक डंक मारना मौत की नींद सुला सकता है। ब्राजीलियन येलो स्कोर्पियन इतना घातक है की इसके एक बार डंक मारने से पूरे शरीर मे असहनीय दर्द होता और फेफड़े सूजने लगते हैं। (Pharaoh Army Attacked Egypt)

बिच्छू अपने शिकार पर डंक से हमला करता है और जहर से अपने शिकार को पैरालाइज कर देता है। इसके बाद आगे के पंजों से शिकार को जकड़ लेता है। इसका मकसद इंसान को काटना नहीं होता, अपने भोजन के लिए छोटे जीव ही उसका निशाना हो सकते हैं। लेकिन कोई दबाव पड़ने पर इंसान को डंक मार देता है।

बिच्छू को अकेला रहना पसंद होता है, अकेले ही जीवनयापन करते हैं। एक स्वस्थ बिच्छू का आकार 2 से 3 सेंटीमीटर और वजन लगभग 10 से 100 ग्राम के बीच होता है। ये लगभग 19 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं। मादा बिच्छू एक समय में 4 से 8 बच्चों को जन्म देती हैं, जो जन्म लेते ही अपनी मां बिच्छू पर चढ़ जाते हैं और तब तक नहीं उतरते जब तक शिकार करने के काबिल नहीं हो जाते। (Pharaoh Army Attacked Egypt)

शोधकर्ताओं के मुताबिक बिच्छू के जहर में पाए जाने वाले रसायन क्लोरोटोक्सिन को अगर ट्यूमर वाली जगह पर लगाया जाए तो इससे स्वस्थ और कैंसरग्रस्त कोशिकाओं की पहचान आसानी से की जा सकती है।


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