सोनिया गांधी के क्षेत्र रायबरेली में सपा ने कांग्रेस को पटका, भाजपा कांग्रेस से भी नीचे

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लखनऊ | उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में तमाम दिग्गज नेता अपना दुर्ग बचाए रखने में सफल नहीं रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की संसदीय क्षेत्र रायबरेली में हुए जिला पंचायत सदस्य चुनाव में बीजेपी अपना असर नहीं दिखा सकी है. वहीं, सपा और कांग्रेस का दबदबा पूरी तरह से कायम रहा. हालांकि, सपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. ऐसे में अब सवाल है कि जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कौन काबिज होगा?

रायबरेली में 52 जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए 708 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे थे. इन 52 सीटों में से सबसे ज्यादा 12 सीटें समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी जीते हैं. कांग्रेस यहां दूसरे नंबर पर रही है और उसके 9 जिला पंचायत सदस्यों ने जीत दर्ज की है. बीजेपी रायबरेली में महज 8 सीटें ही जीत सकी है जबकि पार्टी ने सभी 52 जिला पंचायत सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार रखे थे. जिले में सपा, बसपा और बसपा से ज्यादा 23 निर्दलीय कैंडिडेट जीते हैं. एक तरह से साफ है कि जिला अध्यक्ष की कुर्सी पर वही काबिज होगा जिसे निर्दलीय समर्थन करेंगे.

कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की अनुज वधु सुमन सिंह जिला पंचायत का चुनाव हार गई हैं. हरचंदपुर तृतीय से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष व बीजेपी प्रत्याशी सुमन सिंह को सपा की शिवदेवी ने हराया है. दिनेश प्रताप सिंह के परिवार का रायबरेली जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर 10 साल से कब्जा है और जिले की यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.

वहीं, रायबरेली से पूर्व सांसद अशोक सिंह के बेटे व कांग्रेस नेता मनीष सिंह की पत्नी आरती सिंह ने अमावां द्वितीय से जीत हासिल की है जबकि जगतपुर से कांग्रेस के राकेश सिंह राना पहली बार जिला पंचायत का चुनाव जीते हैं. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 14 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार वह सपा से पिछड़ गई है. हालांकि, पिछले चुनाव में दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस में थे और उनके भाई अवधेश सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे, लेकिन बाद में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी.

राही ब्लॉक की तीनों सीटों पर जहां सपा समर्थित प्रत्याशी ने जीत हासिल की है. वहीं महाराजगंज प्रथम से पूर्व ब्लॉक प्रमुख एवं सपा के पूर्व विधायक रामलाल अकेला के बेटे विक्रांत अकेला ने जीत हासिल की है. उन्होंने सपा से बागी प्रत्याशी को ही नहीं, बल्कि भाजपा के पूर्व विधायक राजाराम त्यागी को धूल चटाई है. रायबरेली में सबसे ज्यादा 12 सीटें सपा के खाते में आई हैं. ऐसे में जिला पंचायत के चुनाव में सपा काफी निर्णायक भूमिका में होगी.

यही नहीं, हरचंदपुर प्रथम से जहां भाजपा समर्थित प्रत्याशी चुनाव हार गए हैं. वहीं राघवेंद्र प्रताप सिंह निर्दलीय लड़कर चुनाव जीत गए हैं. यह अलग बात है कि राघवेंद्र सिंह एक वरिष्ठ भाजपा नेता के बेटे हैं. यही स्थिति कई और सीटों पर भी है. ऐसे में देखना होगा कि आखिर जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए कौन मजबूत होकर उभरेगा.

रायबरेली में में कुल 18 ब्लॉक हैं, जहां पर 988 ग्राम प्रधान की सीटें हैं. इसके अलावा 1301 बीडीसी सीटें हैं. हालांकि, कई ग्राम प्रधान और बीडीसी के कई सदस्य निर्विरोध चुने गए हैं. जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट इस बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. ऐसे में कई बड़े दलित नेता चुनावी मैदान में उतरे थे, जिनमें से कई को मात मिली है तो कई ने जीत दर्ज की है.

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