रमज़ान के पाक महीने का आगाज : दिल्ली HC ने दी निजामुद्दीन मरकज मस्जिद खोलने की इजाजत

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द लीडर। 2 अप्रैल 2022 यानी आज से रमजान के पाक महीने का आगाज़ होगा. आज शाम को चांद देखने के बाद इस महीने की शुरुआत हो जाएगी और 3 अप्रैल को अल्लाह की इबादत कर पहला रोजा रखा जाएगा. रमजान इस्लामी कैलेंडर का सबसे पाक महीना माना जाता है. 3 अप्रैल से शुरू होकर 2 मई को रोजे पूरे होंगे और इसके अगले दिन ईद का पावन पर्व मनाया जाएगा.

मरकज मस्जिद को पूरी तरह से खोलने की इजाजत

वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पवित्र रमजान माह के दौरान इबादत के लिए निजामुद्दीन स्थित मरकज मस्जिद को पूरी तरह से खोलने की इजाजत दे दी है. हाईकोर्ट ने भूतल और अन्य चार मंजिलों को इबादत के लिए खोलने का निर्देश दिया है.

मस्जिद में नमाज और धार्मिक प्रार्थना की अनुमति

इसके साथ ही जस्टिस जसमीत सिंह ने मरकज प्रबंधन को यह सनिश्चित करने का आदेश दिया है कि, मस्जिद की सभी मंजिलों के प्रवेश, निकास और सीढ़ियों के आसपास सीसीटीवी पूरी तरह से काम करें. हाईकोर्ट ने साफ कहा कि, मस्जिद में सिर्फ नमाज और धार्मिक प्रार्थना की अनुमति होगी.


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मस्जिद में किसी भी तरह की तब्लीगी गतिविधियां और व्याख्यान की इजाजत नहीं हो सकती, कोर्ट ने कहा कि, रमजान माह और ईद उल फितर के लिए मस्जिद में नमाज की अनुमति दी जा रही है. यहां कोई व्याख्यान नहीं होगा. हाईकोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है.

पिछले महीने दाखिल की थी याचिका

पिछले माह दाखिल याचिका में बोर्ड ने शब-ए-बारात और रमजान के मद्देनजर इबादत के लिए मरकज मस्जिद को पूरी तरह से खोलने की मांग की थी. तब हाईकोर्ट ने शब-ए बारात के लिए पुलिस को पूरी तरह से मस्जिद खोलने का आदेश दिया था.

शुक्रवार को तमाम मस्जिदों में लोग नमाज पढ़ने के लिए एकत्रित हुए. पुरानी दिल्ली सहित अन्य मुस्लिम बहुल इलाकों के बाजार भी सज गए हैं. जामिया नगर, सीमापुरी, सीलमपुर, जाफराबाद, मुस्तफाबाद सहित राजधानी के अन्य इलाकों में रमजान के महीने की तैयारियां चल रही हैं.

फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम ने बताया कि, रविवार से रोजा शुरू होने की संभावना है. शनिवार को चांद दिखाई देगा उसके बाद यह तय होगा, लेकिन बहुत संभावना है कि रोजा रविवार से शुरू हो जाएंगे.

इस्लामिक कैलेंडर का नवां महीना होता है रमजान

रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नवां महीना होता है. अबसे 30 दिन तक मुस्लिम समुदाय के लोग सूर्य उदय होने के बाद और सूर्य अस्त होने तक न अनाज ग्रहण करते हैं, न पानी पीते हैं. रोज़ा रखने के साथ-साथ लोग अपने दिल और दिमाग को साफ रखते हैं, विचार शुद्ध रखते हैं और पूरी कोशिश करते हैं कि, अपनी बातों से किसी को दुख न पहुंचाएं. मन के साथ शरीर की शुद्धता का भी पूरी तरह से ध्यान रखा जाता है.

रोजे का अर्थ

रोजे को अरबी भाषा में ‘सौम’ कहा जाता है. सौम का अर्थ है रुकना या ठहरना. इसी के साथ खुद पर नियंत्रण या काबू करना. वहीं, फारसी में उपवास को रोजा कहा जाता है. भारत में मुस्लिम समुदाय पर फारसी प्रभाव ज्यादा है, जिस वजह से यहां सौम के लिए रोजा शब्द का प्रयोग ही किया जाता है.

शनिवार शाम चांद दिखने के बाद रविवार को पहला रोजा रखा जाएगा. बताया जाता है कि, रोजे की शुरुआत दूसरी हिजरी में हुई. कुरआन की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में लिखा है कि, ‘रोजा तुमपर उसी तरह से फर्ज किया जाता है, जैसे तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था.’ बताया जाता है कि, मुहम्मद साहब मक्के से हिजरत कर मदीना पहुंचे, उसके एक साल बाद मुसलमानों को रोजा रखने का हुक्म आया.

रमजान में बरसती हैं अल्लाह की रहमतें

कहा जाता है कि, रमजान के पाक महीने में अल्लाह जन्नत के दरवाजे खोल देता है और दोजख के दरवाजों को बंद कर देता है. इसी के साथ अल्लाह शैतान को भी कैद कर देते हैं. रमजान के महीने में ही अल्लाह ने कुरआन नाजिल की, जिसमें जीवन जीने के तरीके बताए गए हैं. यह महीना सुकून और सब्र का महीना है.

रमजान में अल्लाह की खास रहमतें बरसती हैं. अगर इस्लाम समुदाय का व्यक्ति रमजान के नियमों का पालन करता है तो अल्लाह उसके पिछले सभी गुनाह माफ कर देते हैं. साथ ही, इस महीने में की गई इबादत और अच्छे काम का 70 गुना पुण्य अल्लाह देते हैं.


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