द लीडर। कहते हैं कि बाजार में हर चीज आसानी से मिल जाती है। लेकिन माता-पिता बनने का सुख हर किसी को नसीब नहीं होता है। वहीं आज समाज इतना संवेदनहीन हो गया है इसका अंजादा आप इस खबर से लगा से सकते हैं। कहा जाता है कि, बच्चे भगवान की देन होते हैं। सभी जानते हैं कि, बच्चे मां-बाप के लिए जिगर का टुकड़ा होता है। लेकिन कई कलयुग की मां ऐसी भी है जो कुमाता बनकर अपने नवजात बच्चे को मरने के लिए कूड़े के ढेर या कहीं दूर फेंक आती है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सामने आया है। जहां एक नवजात सड़क किनारे कूड़े के ढेर में मिला।
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कूड़े के ढेर में मिला नवजात
बता दें कि, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नवजात बच्चों के मिलने का सिलसिला जारी है। सआदतगंज इलाके में मंगलवार को झोले में रखा हुआ एक नवजात बच्चा मिला। कूड़े के ढेर से रोने की आवाज सुनकर स्थानीय लोग देखने पहुंचे तो कूड़े में पड़े हुए झोले को खोलकर देखा तो उसमें बच्चा रोता हुआ मिला। जो मासूम रंग बिरंगी दुनिया देखने चला था उसे नसीब हुआ था कूड़े का ढेर।
पुलिस ने नवजात को चाइल्ड लाइन के सुपुर्द किया
जानकारी के मुताबिक, सआदतगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत मंगलवार को हजरत अब्बास दरगाह के पीछे नाले के पास झोले में रखा हुआ नवजात बच्चा रोता हुआ मिला। इसकी जानकारी होने पर एक स्थानीय महिला बच्चे को अपने घर ले गई। जिसके बाद लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने नवजात को चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया है। सआदतगंज एसएचओ ब्रजेश कुमार ने बताया कि, हजरत अब्बास दरगाह के पीछे कूड़े के ढेर में एक लावारिस नवजात मिला है। बच्चे को चाइल्ड लाइन को सौंप दिया गया है, घटना की जांच की जा रही है।
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पहले भी मिली थी एक लावारिस बच्ची
लखनऊ में नवजाज बच्चा मिलने की यह पहली घटना नहीं है, इससे पहले लगभग 3 माह पहले मोहनलालगंज थाना क्षेत्र में कंबल में लिपटी हुई एक बच्ची मिली थी। उस मासूम सी बच्ची को आवारा कुत्ते खींच रहे थे, इस घटना के पता चलते ही स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी थी। चाइल्ड लाइन की मदद की मदद से बच्ची को बचाया गया था। बच्ची की तबीयत बिगड़ने पर उसे इलाज के लिए डालीबाग के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद 27 दिनों तक उसका इलाज चला, बाद में उसकी मौत हो गई।