द लीडर हिंदी : अब मुंबई से लड़ी जाएगी यूपी के मदरसों की लड़ाई.यूपी के मदरसों से जुड़े हाईकोर्ट के फ़ैसले का व्यापक असर देश के कोने-कोने में होता दिखाई दे रहा है. इस मसले पर बरेली के बाद मुंबई से भी आवाज़ उठी है. हाईकोर्ट ने उस एक्ट को असंवैधानिक क़रार दे दिया है, जिसके बूते मदरसों को ग्रांट पर लिया गया था. ऐसे में 560 मदरसों पर ताले लटकने की बात कही जा रही है.
इन मदरसों में दरगाह आला हज़रत का मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम भी शामिल है, जिसकी नींव ख़ुद आला हज़रत ने रखी थी. हाईकोर्ट का फ़ैसला आने के बाद दरगाह से जुड़े संगठन मुखर हैं. अब आकर इस मसले पर मुंबई में भी पुरज़ोर तरीक़े से आवाज़ उठने जा रही है. प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरू मुईनुद्दीन अशरफ़ उर्फ़ मुईन मियां ने साफ़ कर दिया है कि हाईकोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे. जंग-ए-आज़ादी में बलिदान के गवाह मदरसों को बंद नहीं होने दिया जाएगा.
बता दें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक घोषित करते हुए कहा कि यह एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला है. साथ ही कोर्ट ने यूपी सरकार को वर्तमान में मदरसों में पढ़ रहे छात्रों की आगे की शिक्षा के लिए योजना बनाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में समायोजित करने के लिए कहा है.
याचिकाकर्ता अंशुमान सिंह राठौर समेत कई लोगों ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को चुनौती दी थी. याचिका में भारत सरकार, राज्य सरकार और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा मदरसों के मैनेजमेंट पर आपत्ति जताई गई थी.इस मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की डिवीजन बेंच ने यह आदेश दिया.2019 में उच्च न्यायालय ने मदरसा बोर्ड के कामकाज और संरचना से संबंधित कुछ सवालों को बड़ी पीठ के पास भेजा था.वही बड़ी पीठ को भेजे गए सवाल में पूछा गया था कि क्या बोर्ड का उद्देश्य केवल धार्मिक शिक्षा प्रदान करना है.