द लीडर हिंदी : महाराष्ट्र में पीछले चार महीनों से चल रहा मराठा आरक्षण आंदोलन आखिकार खत्म हो गया है.मराठा आरक्षण के कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन वापस ले लिया है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने उनकी सारी मांगें मान ली है.
जरांगे ने कहा कि सरकार उन सभी मराठों के उन रिश्तेदारों को कुनबी जाति प्रमाण जारी करने के लिए एक अधिसूचना जारी की है, जिनके रिकॉर्ड पाए गए हैं. जरांगे ने यह घोषणा नवी मुंबई के पास वाशी में दिया.
बता दें शुक्रवार को यहां हजारों की संख्या में लोग विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने आए थे. जरांगे ने सरकार के सामने एक नई मांग रखी. उन्होंने कहा कि सरकार सभी मराठों को शामिल करने के लिए अपनी मुफ्त शिक्षा नीति में संशोधन करे.
हालांकि, शनिवार को सीएम एकनाथ शिंदे जरांगे से मिलने नवी मुंबई पहुंचे. दोनों ने एक साथ छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इसके साथ ही जरांगे ने नवी मुंबई में अपने समर्थकों और सीएम शिंदे के सामने अपना अनशन खत्म किया.
वही लोगों को संबोधित करते हुए जरांगे ने कहा, ‘यह संघर्ष मराठों के लिए आरक्षण के लिए था. हम यहां 54 लाख कुनबी प्रमाण पत्र लेने आए हैं. हम पिछले चार महीने से आरक्षण को लेकर संघर्ष कर रहे. मेरी पीढ़ी ने इस आरक्षण के लिए संघर्ष किया है. 300 से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की है. हम मराठा और ओबीसी के बीच कोई दरार नहीं आने देंगे, लेकिन वे हमारे बीच दरार डालने की कोशिश कर रहे हैं. हम ऐसा नहीं होने देंगे. ओबीसी और मराठों के बीच बहुत प्यार है. हम सब एक है.
मनोज जरांगे ने राज्य सरकार से जारी 37 लाख कुनबी प्रमाण पत्रों का डेटा भी मांगा है।। कुनबी एक कृषक समुदाय है, जिसे अन्य पिछड़े वर्ग में शामिल किया गया है. जरांगे सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र की मांग कर रहे हैं.
राज्य सरकार को जरांगे की चुनौती
शुक्रवार को जरांगे ने अपने भाषण के दौरान महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर रात तक उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो, वह मुंबई स्थित आजाद मैदान में अपने तय धरने को लेकर तैयारियां तेज कर देंगे और शनिवार को मुंबई में प्रवेश करेंगे. साथ ही उन्होंने सरकार से एक नई मांग कर दी है. जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार सभी मराठों को शामिल करने के लिए अपनी मुफ्त शिक्षा नीति में संशोधन करें, जब तक आरक्षण का लाभ पूरे समुदाय के लिए उपलब्ध न हो जाए.
बता दें कि महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे की पदयात्रा मुंबई की तरफ जैसे-जैसे बढ़ रही थी, वैसे-वैसे भीड़ भी बढ़ती जा रही थी. जरांगे अपनी मांग पर अड़े हुए थे और मराठाओं को ओबीसी के तहत आरक्षण दिए जाने के लिए आंदोलन कर रहे थे.
वही मनोज जरांगे 26 जनवरी को मुंबई के आजाद मैदान में एक विशाल रैली को संबोधित करने वाले थे. बता दें जरांगे कह चुके हैं कि अगर महाराष्ट्र सरकार आंदोलन को नजरअंदाज करेगी तो वो मुंबई में ही भूख हड़ताल कर देंगे. ऐसे में सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली ईडी सरकार की चिंता बढ़ती जा रही थी. और फिर जरांगे की जीत हुई सरकार ने उनके विरोध प्रदर्शन को खत्म कराया