द लीडर हिंदी : 1993 सीरियल ब्लास्ट के आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को गुरुवार 29 फरवरी को अजमेर की टाडा कोर्ट ने बरी कर दिया.वही दो आतंकवादियों इरफान (70) और हमीदुद्दीन (44) को उम्रकैद की सजा सुनाई है.बता दें गुरुवार सुबह करीब सवा 11 बजे पुलिसकर्मी तीनों आरोपियों को कड़ी सुरक्षा के बीच लेकर कोर्ट पहुंचे थे. बता दें अजमेर की TADA (आतंकवादी एवं विघटनकारी गतिविधियां अधिनियम) अदालत ने साल 1993 में लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया. वहीं इस मामले में इरफान और हमीदुद्दीन को अदालत ने दोषी माना है और उम्रकैद की सजा सुनाई है.
1993 सीरियल ब्लास्ट पर आया फैसला
मिली जानकारी के मुताबीक सीरियल बम ब्लास्ट केस में करीब 30 साल बाद कोर्ट ने फैसला ये सुनाया है. वही अजमेर की टाडा कोर्ट के जज महावीर प्रसाद गुप्ता ने सैकड़ों गवाहों, सबूतों के अभाव में और सालों चली बहस के बाद आतंकी अब्दुल करीम टुंडा पर फैसला सुनाते हुए उसे बरी कर दिया. अब्दुल करीम टुंडा के एडवोकेट शफकत सुल्तानी ने बताया कि सीबीआई कोर्ट द्वारा लगाए गए आरोप कोर्ट ने नहीं माने और करीब को बरी कर दिया. वहीं, अन्य दो आरोपी इरफान और हमीमुद्दीन को न्यायालय ने दोषी माना है, उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई है.
अदालत में 6 दिसंबर 1993 से चल रहा मामला
बता दें यह मामला 6 दिसंबर 1993 से अदालत में चल रहा है. 5 शहरों में हुए हमलों में एक व्यक्ति की मौत हुई थी. अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि, करीम टुंडा के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं मिले हैं. करीम टुंडा इसके पहले मुत्तरप्रदेश की गाजियाबाद जेल में बंद था.वही 24 सितम्बर साल 2023 को उसे गाजियाबाद से अजमेर लेकर आये थे. तब से उसे अजमेर की जेल में बंद रखा था. जांच एजेंसियों ने टुंडा को 2014 में नेपाल सीमा से पकड़ा था.
दसअसल 30 साल पुराने इस सीरियल बम ब्लास्ट केस में आज आने वाले फैसले को लेकर सुबह से ही सरगर्मी बढ़ी हुई थी. गुरुवार सुबह करीब 11 बजे पुलिस की टीम आतंकी करीम टुंडा, हमीदुद्दीन और इरफान को लेकर टाडा कोर्ट पहुंची. आतंकियों की सुरक्षा को लेकर भी टाडा कोर्ट के बाहर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.
आपको बता दें 6 दिसंबर 1993 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद कोटा, लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे. 28 फरवरी 2004 को टाडा कोर्ट ने ही मामले में 16 अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों को बरी कर शेष की सजा बहाल रखी थी, जो जयपुर जेल में बंद है अब्दुल करीम टुंडा, हमीदुद्दीन और इरफान अहमद के खिलाफ टाडा कोर्ट के जज महावीर प्रसाद गुप्ता ने अपना फैसला सुनाया.