द लीडर : भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) एन वी रमना ने कहा कि, ”न्यायधीश खुद न्यायाधीशों की नियुक्ति कर रहे हैं”. ऐसी धारणा एक मिथक है. ये उन जुमलों में से एक है, जिसे दोहराने का चलन हो गया है. सीजेआइ ने कहा कि हकीकत ये है कि ”न्यायपालिका, न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल कई हितधारकों में से महज एक हितधारक है.” (CJI NV Ramana Judges)
मुख्य न्यायाधीश विजयवाड़ा स्थित सिद्धार्थ विवि महाविद्यालय के पांचवें श्री लवु वेंकेटवरलु धर्मार्थ व्याख्यान में, ”भारतीय न्यायपालिका-भविष्य की चुनौतियां” विषय पर बोल रहे थे.
सीजेआइ रमना ने कहा, नियुक्ति में कई प्राधिकारी शामिल हैं. जिनमें केंद्रीय कानून मंत्रालय, राज्य सरकार, राज्यपाल, उच्च न्यायालय का कॉलेजियम, खुफिया ब्यूरो और अंतत: शीर्ष कार्यकारी शामिल हैं. जिनकी जिम्मेदारी उम्मीदवार की योग्यता परखने की है. मैं ये देखकर दुखी हूं कि जानकार भी ऐसी धारणा फैला रहे हैं कि जस्टिस ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं. क्योंकि ये एक वर्ग को अनुकूल लगता है. (CJI NV Ramana Judges)
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आपको बता दें कि पिछले दिनों केरल से सांसद जॉन ब्रिट्टस ने सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीश (वेतन और सेवा शर्त) संशोधन विधयेक-2021 पर चर्चा के दौरान संसद में कथित तौर पर ये कहा था कि न्यायाधीशों के ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करने की बात दुनिया में कहीं और सुनाई नहीं देती.
सीजेआई ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों, खासकर विशेष एजेंसियों को न्यायपालिक पर हो रहे दुर्भावनापूर्ण हमलों से निपटना चाहिए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब तक न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करता और आदेश पारित नहीं करता, तब तक आमतौर पर अधिकारी इवेंस्टिगेशन शुरू नहीं करते. (CJI NV Ramana Judges)
न्यायमूर्ति रमना ने कहा, ‘‘सरकार से उम्मीद की जाती है और ये उसका कर्तव्य भी है कि वह सुरक्षित माहौल बनाए ताकि न्यायाधीश और न्यायिक अधिकारी बिना भय के काम कर सके.”
उन्होंने हाल के दिनों में न्यायिक अधिकारियों पर शारीरिक हमले बढ़ने के संदर्भ में ये बातें कही हैं. ये भी कहा कि कई बार मनमाफिक फैसला नहीं आने पर कुछ पक्षकार प्रिंट और सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों के खिलाफ अभियान चलाते हैं. इसलिए ये हमले प्रायोजित और समकालिक प्रतीत होते हैं. (CJI NV Ramana Judges)
सीजेआइ ने कहा कि लोक अभियोजकों के संस्थान को स्वतंत्र करने की जरूरत है. उन्हें पूर्ण आजादी दी जानी चाहिए और उन्हें केवल अदालतों के प्रति जवाबदेह बनाने की जरूरत है.
सीजेआइ ने मीडिया को उसकी ताकत भी याद दिलाई. ये कहते हुए कि नए माध्यमों के पास जानकारी प्रसारित करने की बड़ी क्षमता है. लेकिन ऐसा लगता है कि वह सही और गलत, अच्छे-बुरे, वास्तविक व फर्जी के बीच अंतर करने में अक्षम है. मीडिया ट्रायल को लेकर भी सीजेआइ ने टिप्पणी की है. (CJI NV Ramana Judges)