द लीडर हिंदी : कर्नाटका के बाद ड्रेस कोड को लेकर चर्चाओं में मुंबई बनीं हुई है. कर्नाटका के कॉलेज में हिजाब के मामले ने देशभर में सुर्ख़ियां बटोंरी थीं. ऐसा ही एक मामला मुंबई के एक कॉलेज का भी था, जहां हिजाब के साथ बुर्क़ा, टोपी को भी बैन कर दिया गया था. इसके खिलाफ़ आठ छात्राएं मुंबई हाईकोर्ट गईं. लंबी बहस चली. दोनों तरफ से तर्क दिए गए. आख़िरकार फ़ैसला कॉलेज के हक़ में आया. बुर्क़े या हिजाब में कॉलेज जाने वाली छात्राओं को राहत नहीं मिली. इसी एनजी आचार्य एंड डीके मराठी कॉलेज ऑफ आर्ट साइंस एंड कॉमर्स में अब जींस पर भी पांबदी लगा दी गई है. सुबह में जींस. टी शर्ट और फैशनेबल कपड़े पहननकर आने वाले छात्र-छात्राओं को कॉलेज से वापस कर दिया गया. उससे पहले वाट्सएप पर मैसेज के ज़रिये जींस पर पांबदी का आदेश जारी कर दिया गया था.
बता दें मुंबई के चेंबूर में स्थित एनजी आचार्य और डीके मराठी कॉलेज ने हिजाब के बाद अब जींस और टी-शर्ट पर भी बैन लगा दिया है. कॉलेज प्रशासन ने अब छात्रों को फटी जींस, टी-शर्ट, अंग प्रदर्शन वाले कपड़े और जर्सी या धर्म को उजागर करने वाली पोशाक या सांस्कृतिक असमानता दर्शाने वाले कपड़ों को पहनने पर रोक लगा दिया है.
चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज ने 27 जून को जारी नोटिस में यह भी कहा कि छात्रों को कैंपस में औपचारिक और सभ्य कपड़े पहननी चाहिए. छात्र आधी या पूरी बाजू वाली शर्ट और ट्राउजर पहन सकते हैं. इसमें कहा गया है कि लड़कियां कोई भी भारतीय या पश्चिमी पोशाक पहन सकती हैं.