Political crisis in Pakistan: संकट में इमरान खान, अपनी सेना पर भी करने लगे शक

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द लीडर हिंदी : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस समय एक नहीं अनेक मुश्किलों से जूझ रहे हैं। मुल्क में अकाल जैसे हालात बन रहे हैं, विपक्ष कई मोर्चों पर लड़ रहा है और कूटनीतिक विफलताओं से इंटरनेशनल मदद भी नहीं मिल पा रही है। सबसे बड़ी बात ये कि घरेलू सियासत में ऐसे दांवपेंच चल रहे हैं कि उन्हें डर लग रहा है कि उनकी सबसे बड़ी सियासी ताकत पाकिस्तान की फौज भी कहीं उनकी कुर्सी जाने की वजह न बन जाय.

सरकार का तख्तापलट करने की कोशिश

दो दिन पहले विपक्षी दलों पर बरसते हुए उन्होंने ही दावा किया कि खुद को लोकतंत्र समर्थक बताने वाले कुछ नेता फौज की मदद से उनकी सरकार का तख्तापलट करने की कोशिशों में जुटे हैं। इमरान खान के इस बयान के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या वे कुछ दिनों तक ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं? क्या वाकई फौज विपक्ष के साथ है?

इमरान ने कहा कि विपक्षी नेता दिन-रात जम्हूरियत का राग अलापते

एक हाइवे मरम्मत परियोजना की शुरुआत के मौके पर इमरान ने कहा कि विपक्षी नेता दिन-रात जम्हूरियत का राग अलापते हैं। हालांकि, वे सेना की मदद से मेरी सरकार को गिराने की कोशिशों में जुटे हैं। विपक्ष सरकार को नाकाम साबित करने की कवायद में जुटा है। विपक्षी नेता पूछते हैं कि वह जिस बदलाव का नारा लेकर प्रधानमंत्री पद पर काबिज हुए थे, उसका क्या हुआ। मैं उनसे यही कहना चाहूंगा कि बदलाव रातों-रात नहीं आता। इसमें समय लगता है।

सेना की मदद से आए थे सत्ता में 

इमरान के बारे में कहा जाता है कि वह सेना की मदद से सत्ता में आए थे। पूर्व प्रधानमंत्री एवं पीएमएल-एन प्रमुख नवाज शरीफ ने पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज अहमद का नाम लेते हुए कहा था कि इमरान की जीत सुनिश्चित करने के लिए दोनों ने 2018 के चुनाव में दखल दिया था।

रावलपिंडी रिंग रोड परियोजना घोटाले की जांच शुरू

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ-साथ रावलपिंडी रिंग रोड परियोजना के घोटाले में कथित रूप से शामिल अन्य मंत्रियों से इस्तीफे की मांग की थी। सबूत भी सामने आए हैं कि इमरान खान और पंजाब के सीएम उस्मान बुजदार ने आरआरआर परियोजना का समर्थन किया था। ऐसे में अब पाकिस्तान की एंटी करप्शन एजेंसी ने इस परियोजना से जुड़े घोटाले की जांच शुरू कर दी है।

टेरर फंडिंग से साख गिरी

टेरर फंडिंग के मामले में इमरान सरकार मुश्किल में हैं। पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान को जून 2018 और फिर इस साल फरवरी में पाकिस्तान को जून तक ग्रे लिस्ट में डाला था। एफएटीएफ ने पाया था कि मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ जो 27 एक्शन प्लान पाकिस्तान को बताए गए थे उसका भी सही तरीके से अनुपालन नहीं हो सका था।

‘डॉन’ ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि अब पाकिस्तान एफएटीएफ की 40 सिफारिशों में से सात को ही पूरा कर पाया है और 24 अन्य सिफारिशों का अनुपालन कर रहा है। यानी अभी ग्रे लिस्ट में ही रहेगा।

अमेरिका जैसे मुल्कों की नज़र में पाकिस्तान खलनायक

इसके अलावा पाकिस्तान में अलकायदा की मौजूदगी भी उसे अमेरिका जैसे मुल्कों की नज़र में खलनायक बनाये हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक आतंकवादी संगठन अलकायदा के अधिकतर कट्टर आतंकवादी अफगानिस्तान और पाकिस्तान के सीमाई क्षेत्र में रह रहे हैं, इनमें संगठन का पूर्व सरगना आयमन अल जवाहिरी भी शामिल है।

अलकायदा के नेतृत्व में मूल रूप से गैर अफगान लोग हैं और इसमें उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशियाई देशों के नागरिक हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इस समूह में अफगान और पाकिस्तानी नागरिकों के अलावा बांग्लादेश, भारत और म्यांमा के भी आतंकी है। भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा का वर्तमान नेता ओसामा महमूद है और उसने असीम उमर की जगह ली है।

सिंध में अकाल जैसे हालात

सिंध में किसान पानी के अभाव में धान की खेत सूख रहे हैं। देश को गंभीर खाद्य संकट का सामना करना पड़ सकता है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सिंध सचिव अजीज धामरा ने इमरान खान की सरकार को चेताया है कि सिंध के लोग संघीय सरकार द्वारा बनाए गए ‘कृत्रिम जल संकट’ के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध शुरू करने के लिए तैयार थे।

उन्होंने सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण (IRSA) के अध्यक्ष और इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार को ताउनसा लिंक नहर में सिंध के पानी पर ‘डकैती’ के लिए भी दोषी ठहराया। धामरा ने कहा कि देश पर थोपे गए शासकों की आत्मकेंद्रित नीतियों से कृषि क्षेत्र को पहले ही काफी नुकसान हो चुका था और क्षेत्रों में जल संकट के कारण कई जिलों में किसानों को नुकसान होगा। यहां लोग अपना विरोध दर्ज कराने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं। सिंध के मंत्री ने दावा किया कि अगर समय रहते समस्या का समाधान नहीं किया गया तो संघीय सरकार के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन होगा।

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