द लीडर हिन्दी: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिला के थाना मोदी नगर क्षेत्र की राधा एन्कलेव कालोनी में एक करोड़ के लालच में दोस्त ने पीएचडी कर रहे छात्र अंकित हत्या कर उसके शव के टुकड़े कर दिए। शव छिपाने के लिए तीनों टुकड़ों को पालीथिन में भरकर खतौली व मसूरी की नहर और ईस्र्टन पेरिफेरल के पास फेंक दिया।
पुलिस ने मुख्य हत्यरोपी दोस्त को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस पूछताछ में उससे हत्या करने की बात कबूल कर ली है। पुलिस ने आरोपी की निशानदेही पर आलाकत्ल आरी, मृतक के जले हुए कपड़े बरामद कर लिए है। कपड़ों पर खून के निशान और बाल मिले हैं। पुलिस दूसरे आरोपी को तलाश कर रही है।
मूल रूप से बागपत जिला के गांव मुकंदुपर निवासी अंकित चौधरी(45) मोदीनगर की राधा एन्कलेव कालोनी में किराए के मकान में रहते थे। यह मकान उनके दोस्त देवेंद्रपुरी में रहने वाले उमेश शर्मा का है। अंकित और उमेश के बीच गहरी दोस्ती थी। अंकित लखनऊ के डा. भीमराम आंबेडर यूर्निवर्सिटी से पीएचडी कर रहे थे। तीन पहले उन्होंने फाइल जमा की थी।
दोस्त के रुपये पर नीयत हुई खराब : अंकित ने कुछ समय पहले बागपत स्थित अपना एक करोड़ रुपये में बेच दिया था। इसमें से उमेश ने अंकित से 40 लाख रुपये उधार लिए थे। बाकी रुपये पर भी उमेश की नीयत खराब हो गई। उसने योजना बनाकर पांच अक्टूबर की रात अंकित की गला दबाकर हत्या कर दी।
शव को ठिकाने लगाने के लिए उसने आरी से उसके तीन टुकड़े किए और तीनों टुकड़ों को पालीथिन में भरकर रात में ही ठिकाने लगा दिया। इसमें दो टुकड़े मसूरी व खतौली में नहर के फेंके और एक टुकड़े को दुहाई में ईस्टर्न पेरिफेरल के पास फेंक दिया। इसके बाद वह अंकित के डेबिट कार्ड से रकम निकालने लगा।
दो महीने से घर नहीं पहुंचने पर शुरू हुई तलाश: अंकित के साथ पीएचडी कर रहे साथियों की जब दो महीने उससे बात नहीं हुई तो खोजते हुए मोदी नगर आए। यहां पता चला कि अंकित दो माह से घर पर नहीं आया है। साथियों ने 12 दिसंबर को मोदीनगर थाने में अंकित की गुमशुदगी दर्ज कराई।
पुलिस जांच में पता चला की अंकित की उमेश से दोस्ती थी। शक के आधार पुलिस ने उमेश को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो पूरे घटनाक्रम से पर्दा उठ गया। उमेश ने पुलिस को बताया कि शव को तीन हिस्सों को अलग करके फेंका था।
माता पिता की पहले हो गई मौत: अंकित अपने माता पिता का इकलौती संतान था। उसके माता पिता की पहले ही मौत हो गई थी। इसके बाद पैतृक संपत्ति को उन्होंने एक करोड़ रुपये में बेचा था।
हत्या के बाद खाते से निकले रुपये: हत्या के बाद उमेश ने अंकित के डेबिड कार्ड व यूपीआई के माध्यम से रुपये निकलता रहा। उसने पीएनबी के खाते से विभिन्न माध्यमों से 20 लाख रुपये निकाले। इसके बाद उमेश की तबीयत खराब हो गई और उसने अपने बिसरक के साथी प्रवेश को एटीएम कार्ड देकर अलग-अलग स्थानों से रुपये निकलवाए।