इब्राहिम रईसी की मौत… भारत के लिए बड़ा नुकसान…आज राष्ट्रीय शोक

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द लीडर हिंदी: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी (63 ) और विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियन का हेलिकॉप्टर क्रैश होने से मौत से ईरान को गहरा दुख पहुंचा है. रविवार 19 मई को राष्ट्रपति रईसी और विदेश मंत्री सहित ईरान के कुछ बड़े नेताओं की अजरबैजान में एक हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई थी.उनकी मौत पर ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनेई ने पांच दिनों के सार्वजनिक शोक का ऐलान किया है. बतादें कि आज राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के जनाज़े में सड़कों पर हज़ारों लोग इकट्ठा हो गए.

रईसी के शव को गुरुवार शाम उनके जन्मस्थल मशहद में दफ़नाया जाएगा. ईरान में रईसी को अंतिम विदाई देने के लिए कई आयोजन होंगे.इनमें से पहला कार्यक्रम देश के उत्तर-पश्चिमी शहर तबरिज़ में हो रहा है. रईसी का हेलिकॉप्टर यहीं क्रैश हुआ था.इसके बाद रईसी के शव को धार्मिक लिहाज़ से अहम माने जाने वाले क़ोम प्रांत ले जाया जाएगा. यहां भी एक जनाज़ा निकाला जाएगा.इसके बाद रईसी और हादसे में मारे गए ईरान के विदेश मंत्री के शवों को राजधानी तेहरान लाया जाएगा. यहां बुधवार को आगे के कार्यक्रम होंगे.

ईरान ने बुधवार को सरकारी छुट्टी का एलान किया है.वही दूसरी तरफ तुर्की और बाकी कई मुल्कों ने भी रईसी की मौत पर शोक का ऐलान किया है.भारत में भी 21 मई यानि आज एक दिवसीय राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है.मिली जानकारी के मुताबीक ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी, विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन और सात अन्य की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत पर भारत सरकार ने मंगलवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. इस दिन देशभर की सभी सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा.

आपको बता दें कि इब्राहिम रईसी की आकस्मिक मौत भारत के लिए भी बड़ा नुकसान साबित हुई. दरअसल ये रईसी ही थे, जिन्होंने चीन और पाकिस्तान की तरफ से दबाव डाले जाने के बावजूद चाबहार बंदरगाह भारत को सौंपने का रास्ता साफ किया. यही नहीं, ईरान के इस्लामिक देश होने के बाजवूद रईसी ने कश्मीर के मसले पर भी हमेशा भारतीय रुख का समर्थन किया था.

इब्राहिम रईसी की मौत भारत के लिए बड़ा नुकसान
आपको बताते चले कि भारत ने बीते सप्ताह ही ईरान के साथ चाबहार स्थित शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह के संचालन व विकास के लिए 10 साल का अनुबंध किया है. यह बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों तक पहुंच का रास्ता देता है.वही चीन ने पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह पर जब से पैर जमाए हैं, तभी से भारत के लिए रणनीतिक तौर पर यह जरूरी हो गया था कि अरब सागर में भारत अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए चाबहार में मौजूद रहे.

2003 में पहली बार भारत-ईरान के बीच इस बंदरगाह के विकास और संचालन को लेकर सहमति पत्र पर दस्तखत किए गए थे. लेकिन, दो दशक तक बंदरगाह से संचालन का दीर्घकालिक समझौता अलग-अलग कारणों से लटकता रहा. 2017 में भारत ने बेहेश्ती बंदरगाह पर टर्मिनल का निर्माण कर उसका संचालन शुरू कर दिया. लेकिन, दीर्घकालिक समझौता 2024 में हुआ.

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