भीषण सर्दी, बारिश, बैरिकेडिंग, इंटरनेट बंदी, कील कंटीले तारों पक्की दीवारों से बाड़ाबंदी, गुंडों से हमला, लाठी, आंसू गैस झेलने के साथ ही सैकड़ों आंदोलनकारियों की मौत। इसी के साथ कई बार सरकार से नाकायाब रही बातचीत।
पूरे चार महीने गुजर गए। कई देशों में आंदोलन के समर्थन में उठी आवाज, संयुक्त राष्ट्र में अपना पक्ष दर्ज कराने के बाद भी सरकार का दिल नहीं पसीजा तो फिर एक बार संगठित होकर चुनौती देने का ऐलान।
जैसा कि पहले ही पूरी योजना संयुक्त किसान मोर्चा ने घाेषित की थी, किसान आंदोलन नए चरण में दाखिल होकर अपनी ताकत को परखेगा। गणतंत्र दिवस की चूक का सबक और पूरे देश में किसान पंचायतों से तैयार हुए माहौल का असर दिखाई देगा।
उत्तरप्रदेश में जहां समाजवादी पार्टी भाजपा सरकार पर निशाना साधकर किसानों को समर्थन दे रही है तो बिहार में विधानसभा के अंदर विपक्षी विधायकों की पिटाई बड़ी सियासी उथल-पुथल के साथ भारत बंद को मजबूत बनाने जा रही है।
पश्चिम बंगाल में चुनाव के चलते सियासी तीर पहले ही चल रहे हैं, जिसमें किसानों का मुद्दा भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है। किसान आंदोलन के लिए दक्षिण भारत में भी व्यापक समर्थन मिला है, जिसमें सबसे ज्यादा ताकत मुंबई और कर्नाटक में जुटने के संकेत दिखाई दे रहे हैं।
किसान आंदोलन की तैयारी का अंदाजा इससे भी लग रहा है कि तमाम किसान संगठनों, लगभग सभी ट्रेड यूनियन महासंघों, छात्र संगठनों, बार संघ, राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने भी बंद का समर्थन किया है। सबसे ज्यादा ताकत का प्रदर्शन दिल्ली की सरहदों पर ही दिखाई होगा, जहां तीन दिन से लगातार जुलूसों की शक्ल में जत्थे शामिल होते जा रहे हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी बुलेटिन में मोर्चा के कोऑर्डिनेटर डॉ. दर्शनपाल ने बताया कि पूर्ण भारत बंद सुबह 6 से शाम 6 बजे तक किया जाएगा। इस दौरान सभी दुकानें, मॉल, बाजार और संस्थान बंद रहेंगे। तमाम छोटी व बड़ी सड़कें और ट्रेनें जाम की जाएंगी।
एम्बुलेंस व अन्य आवश्यक सेवाओं को बाधित नहीं किया जाएगा। दिल्ली की जिन सीमाओं पर किसानों के धरने चल रहे हैं वे सड़के पहले से बंद हैं। इस दौरान वैकल्पिक रास्ते खोले गए थे। भारत बंद के दौरान सुबह 6 से शाम 6 बजे तक इन वैकल्पिक रास्तों को भी बंद किया जाएगा।
किसान मोर्चा ने प्रदर्शनकारियों व समर्थकों से शांतिपूर्ण तरीके बंद सफल बनाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह किसानों के सब्र का एक और इम्तिहान है, किसी से बेवजह बहस कर उलझने की जरूरत नहीं है।
बैनर-पोस्टरों और नारों के माध्यम से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने, एमएसपी व खरीद पर कानून बनाने, किसानों पर किए सभी पुलिस केस रद्द करने, बिजली बिल और प्रदूषण बिल वापस लेने के साथ डीजल, पेट्रोल और गैस की कीमतें करने की मांग हमें पुरजोर तरीके से रखना है।
अराजक तत्वों पर नजर रखने को टीमें बनीं हैं, जिससे कोई उपद्रवी तत्व खलल न डाल सके।