प्रतिबंधित फिल्म, “मुहम्मद : द मैसेंजर ऑफ गॉड’ ऑनलाइन दिखाने पर रजा एकेडमी नाराज, मुंबई पुलिस से सोशल एकाउंट बंद करने की मांग

द लीडर : पैगंबर-ए-इस्लाम के किरदार पर आधारित ईरानी-इस्लामिक फिल्म, “मुहम्मद : द मैसेंजर ऑफ गॉड’ भारत में प्रतिबंध के बावजूद कुछ सोशल मीडिया साइट्स और वेबसाइट के जरिये दिखाई जा रही है. जिस पर रजा एकेडमी ने सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए मुंबई के एडिशनल पुलिस कमिश्नर को शिकायती पत्र दिया है. इसमें ऐसी वेबसाइट और सोशल मीडिया लिंक का भी जिक्र किया है, जिन पर ये फिल्म उपलब्ध है.

रजा एकेडमी के महासचिव मुहम्मद सईद नूरी बुधवार को मुंबई पुलिस के आला अधिकारियों से मिले. उन्होंने कहा कि पुलिस ने आश्वस्त किया है कि ऐसे एकाउंट के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी. पत्र के मुताबिक जिस साइट पर फिल्म का ये लिंक है. वो पैड साइट है. और 99 रुपये में सब्सक्रिप्शन बेच रही है.

सईद नूरी ने कहा कि ये कृत्य किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. साथ ही ऐसे सभी एकाउंट तत्काल बंद किए जाने की मांग करते हैं. जो लोग प्रतिबंधित फिल्म की स्क्रीनिंग कर रहे हैं.


लक्षद्वीप के प्रशासक बनकर गए गुजरात के पूर्व गृह राज्यमंत्री प्रफुल खोडा की नीतियों ने कैसे शांत टापू पर तूफान खड़ा कर दिया


 

माजिद माजिदी के डायरेक्शन में बनी ईरानियन इस्लामिक फिल्म मुहम्मद : द मैसेेंजर ऑफ गॉड पर्सियन भाषा में बनी थी, जो 2015 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म को बनाए जाने की शुरुआत 2007 में हुई, जिसकी शूटिंग को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था.

इसमें पैगंबर ए इस्लामिक के बचपन और बाद के कामकाज को फिल्माया गया है. साल 2015 में फिल्मी की स्क्रीनिंग के समय से ही विवाद छिड़ा है. सबसे पहले मिस्र की अल अजहर यूनिवर्सिटी ने इस फिल्म की रिलीज पर रोक की मांग की थी. और बाद में सऊदी अरब के ग्रांड मुफ्ती ने भी यही आवाज उठाई. हालांकि इस सबके बाद भी ये फिल्म रिलीज की गई.

लेकिन जुलाई 2020 में जब इसे हिंदी भाषा के साथ भारत में लांच किए जाने की तैयारी हुई. तो देश भर के मुसलमानों ने कड़ी नाराजगी जताई. रजा एकेडमी ने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख से इस पर रोक की मांग की थी. इस तर्क के साथ कि पैगंबर ए इस्लाम का किरदार दुनिया में कोई भी शख्स अदा नहीं कर सकता है.

गृहमंत्री ने भी इसी बिंदु को आधार बनाकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पत्र आगे बढ़ाया. फिल्म पर प्रतिबंध के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखे गए. रजा एकेडमी के महासचिव सईद नूरी के मुताबिक इसका असर ये हुआ कि फिल्म पर भारत में रोक लग गई.


यूपी : 34 साल पहले मेरठ में भड़के दंगों में सुरक्षा के लिए पहुंची पीएसी ने कैसे हाशिमपुरा के 42 मुसलमानों का किया था कत्लेआम


लेकिन अब जानकारी में आया है कि कुछ वेबसाइट और सोशल मीडिया एकाउंट पर ये फिल्म बेची जा रही है. अब, जब भारत में फिल्म प्रतिबंधित है. इसका अर्थ है कि इसे किसी भी माध्यम से देश में नहीं दिखाया जा सकता है. इसलिए हम चाहते हैं कि ऐसा करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारियों ने कार्रवाई का भरोसा दिया है.

 

Ateeq Khan

Related Posts

बरेली में केलाडांडी का माहौल जांचने पहुंचे डीएम-एसएसपी

द लीडर हिंदी: यूपी के ज़िला बरेली में जुमे के दिन जिस केलाडांडी गांव में मस्जिद बनाम विवादित स्थल का तनाज़ा खड़ा हुआ, वहां माहौल का जायज़ा लेने के लिए…

बरेली में बिना रंजिश क्यों क़त्ल किए गए सेना के रिटायर्ड माली

द लीडर हिंदी: यूपी के ज़िला बरेली में कैंट के मिलिट्री डेयरी फॉर्म के पास झोंपड़ीनुमा कमरा बनाकर रहने वाले बुज़ुर्ग रिटायर्ड माली की लाश मिली है. तब जबकि उन्हें…