इस्लामाबाद।
पाकिस्तान में कट्टरपंथियों के उग्र तेवर देख फ्रांस ने अपने नागरिकों को तीन दिन के अंदर वापस वतन लौटने को कह दिया है। दोनों देशों के रिश्तों के बिगड़ने का यह साफ संकेत है।
फ्रांस के राजदूत को देश ने निकालने की मांग को लेकर पाकिस्तान में कई दिनों से प्रदर्शन हो रहे हैं। 13 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 पुलिसकर्मी घायल हैं। हालांकि सरकार 7 के मरने की पुष्टि कर रही है। माना जा रहा है कि चरमपंथी फ्रांस के लोगों को निशाना बना सकते हैं।
पाकिस्तान में स्थित फ्रेंच दूतावास ने कहा कि यहां फ्रांस के खिलाफ विरोध और हिंसक घटनाएं हो रही हैं, इसलिए हम अपने नागरिकों और हमारे देश की कंपनियों को सलाह दे रहे हैं कि इस सप्ताह के आखिर तक फ्रांस लौट जाएं। दूतावास ने फ्रांस के उन सभी लोगों को मेल किया है, जो इस समय पाकिस्तान में हैं।
पाकिस्तान में फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन तब शुरू हुए थे, जब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने शार्ली हेब्दो मैगजीन में छपे पैगंबर मोहम्मद पर कार्टून का समर्थन किया था। पाकिस्तान सहित कई मुस्लिम देशों ने इसे ईश निंदा मानकर फ्रांस का विरोध करना शुरू कर दिया था। इन देशों ने फ्रांस के प्रोडक्ट का बायकॉट किया। पाकिस्तान में इस तरह का विरोध सबसे ज्यादा हो रहा है। यहां साद हुसैन रिजवी नाम के कट्टर इस्लामिक धर्म गुरु ने फ्रेंच राजनायिक को देश से निकालने के लिए मोर्चा खोला हुआ है। रिजवी की पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के हजारों समर्थक सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
इससे पहले पाकिस्तान की सरकार ने बुधवार को साद की पार्टी को आतंकी संगठन घोषित कर उस पर बैन लगा दिया था। साद 12 अप्रैल से पुलिस की गिरफ्त में है। रिजवी की गिरफ्तार के बाद पंजाब प्रांत में लगातार विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। दो पुलिस वालों समेत एक दर्जन दे ज्यादा की मौत हो चुकी है और अब तक 2000 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। बैसाखी पर 12 अप्रैल को भारत से 815 सिखों का जत्था रावलपिंडी के पंजा साहिब गुरुद्वारे के लिए निकला था। 25 बसों में निकला जत्था वाघा बॉर्डर के जरिए पाकिस्तान में दाखिल हुआ था। पाकिस्तान में चल रही हिंसा के कारण जत्थे को 3 घंटे का सफर तय करने में 14 घंटे लग गए।
ये जत्था मंगलवार दोपहर को किसी तरह लाहौर के एक गुरुद्वारे पहुंचा। इसके बाद इन्हें पाकिस्तानी रेंजर्स की सुरक्षा में पंजा साहिब गुरुद्वारा पहुंचाया गया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारतीय सिखों के जत्थे की स्थिति पर सरकार नजर बनाए है। उनकी सुरक्षित वापसी की कोशिश की जा रही है।