द लीडर : उत्तर प्रदेश की सड़कों पर साईकिल दौड़ाकर अखिलेश यादव ने नौ साल पहले-2012 में जो कमाल कर दिखाया था. उससे हासिल लोकप्रियता का जादू आज तक बरकरार है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 48 साल के हो गए हैं. गुरुवार को राज्य के हर जिले में पार्टी नेता और समर्थकों ने उनका जन्मदिन मनाया.
जिसमें अखिलेश के प्रति दीवानगी झलक नजर आई. युवा नेताओं ने रक्तदान शिविर लगाए तो कहीं हवन-पूजन और केक काटकर अपने नेता के दीर्घायु होने की कामना की गई.
समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव 2012 में 38 साल की उम्र में यूपी के मुख्यमंत्री बने थे. तब सपा ने उस वक्त की सत्ताधारी बसपा के खिलाफ 224 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी.
यही वो वक्त था, जब अखिलेश यादव समाजवाद का परचम लेकर यूपी की सड़कों पर निकल पड़े थे. और उनके स्वागत में सड़कों पर युवाओं का हुजूम उमड़ता दिखाई देता था.
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1 जुलाई 1973 को इटावा के सैफई में जन्में अखिलेश यादव ने धौलपुर के राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की है. सक्रिय राजनीति में उनकी एंट्री साल 2000 में हुई. तब वह कन्नौज लोकसभा सीट का उप-चुनाव जीतकर पहली बार संसद गए थे.
इसके बाद 2004, 2009 का संसदीय चुनाव जीतकर संसद गए. और 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा की शानदार जीत के बाद 15 मार्च को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
बतौर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के यादगार काम
अखिलेश यादव अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल को विकास के यादगार दौर के तौर पर पेश करते हैं. इतना ही नहीं विकास के मुद्दे पर ही उन्होंने 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था. हालांकि उसमें उन्हें भाजपा से बड़ी शिकस्त मिली थी. लेकिन उनके विकास कार्यों के दूसरे दलों के नेता कायल रहे हैं.
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जिसमें वुमेन पावर लाइन 1090 और 108 एंबुलेंस सेवा, यूपी डायल-100 पुलिस सर्विस शामिल हैं. ये तीनों काम अखिलेश यादव की शख्सियत को आधुनिक विकास के तौर पर पेश करते हैं. जिसकी देश-दुनिया में प्रशंसा हुई. इसके अलावा भी आगरा-एक्सप्रेस वे, लैपटॉप वितरण समेत दूसरे कामों को अखिलेश अपनी उपलब्धि के रूप में पेश करते आए हैं.
क्या है अखिलेश की लोकप्रियता का राज
अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के ऐसे इकलौते नेता हैं, कि मुलायम सिंह के बाद हर समाजवादी नेता उन पर जान छिड़कता है. फिर चाहें 2012 में उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव हो या फिर 2017 में पारिवारिक विवाद के बीच पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया जाना.
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समाजवादी पार्टी के बदलते स्वरूप के ये दो सबसे महत्वपूर्ण समय रहे हैं, जब युवाओं से लेकर कद्दावर समाजवादी नेता उनके साथ खड़े नजर आए. समाजवादियों के बीच उनकी लोकप्रियता का ये सबसे मजबूत उदाहरण नजर आता है.
क्या फिर सड़कों पर साईकिल लेकर निकलेंगे अखिलेश
अगले साल 2022 में विधानसभा चुनाव है. समाजवादी पार्टी इसकी तैयारियों में जुट गई है. लेकिन एक सवाल है, क्या अखिलेश यादव फिर से यूपी की सड़कों पर साईकिल लेकर निकलेंगे? चूंकि हाल ही में यूपी पंचायत चुनाव हुए हैं. और इसमें पार्टी ने बढ़त मिलने का दावा किया है. लेकिन जिस तरह से जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में 21 सीटों पर भाजपा के निर्विरोध प्रत्याशी अध्यक्ष चुने गए हैं.
उससे पार्टी नेता थोड़े असहज हुए हैं. और अंदरखाने ये जरूरत-मांग दिखने लगी है कि फिर से अखिलेश यादव साईकिल यात्रा निकालें. हालांकि पार्टी नेता लगातार यात्रा निकालते रहते हैं, लेकिन इसमें एक चेहरे की कमी महसूस होती रही है. जो अखिलेश यादव हैं.