अतीक अहमद के बाद अब आई मुख्तार अंसारी की बारी, कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

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द लीडर हिंदी : उत्तर प्रदेश में माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ योगी सरकार का एक्शन लगातार जारी है. अतीक अहम के बाद अब बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की आज बारी आ गई. आज बुधवार को बाहुबली मुख्तार अंसारी को फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. वाराणसी की एमपी-एमएलए अदालत ने आजीवन कारावास के साथ दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

बाहुबली नेता कहे जाने वाले मुख्तार अंसारी को वाराणसी की MP-MLA कोर्ट ने आर्म्स एक्ट के मामले में सजा सुना दी है. कोर्ट ने माफिया मुख्तार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, बता दें कोर्ट ने बीते मंगलवार को ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसके बाद आज फैसला सुनाया गया है. 36 साल पुराने मामले में वाराणसी की अदालत ने ये फैसला सुनाया है.

बता दें मुख्तार अंसारी को 33 साल 3 महीने 9 दिन पुराने गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.इस मामले में उन पर दो लाख दो हजार का जुर्माना लगा है. माफिया मुख्तार की सजा को लेकर 54 पेज का फैसला आया है. फैसले के दौरान सफेद टोपी और सदरी पहने मुख्तार मुंह लटकाए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बांदा जेल से पेश हुआ. बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस-191) का सरगना और माफिया मुख्तार को आठवीं बार सजा हुई है.

10 जून, 1987 को वो मामला
गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी ने 10 जून, 1987 को दोनाली बंदूक का लाइसेंस लेने के लिए गाजीपुर के डीएम ऑफिस में आवेदन किया था. बता दें कि इसके बाद गाजीपुर के तत्कालीन डीएम और एसपी के फर्जी साइन के बाद इस लाइसेंस को प्राप्त कर लिया गया था. आपको बता दें कि फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद मुहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में अदालत में आरोप पत्र प्रेषित किया गया.

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